मुंशी प्रेमचंद के व्‍यक्तित्‍व एवं कृतित्‍व पर विचार गोष्‍ठी का हुआ आयोजन
मुंशी प्रेमचंद के व्‍यक्तित्‍व एवं कृतित्‍व पर विचार गोष्‍ठी का हुआ आयोजन

मुंशी प्रेमचंद के व्‍यक्तित्‍व एवं कृतित्‍व पर विचार गोष्‍ठी का हुआ आयोजन

मुंबई। मध्य रेल मुख्‍यालय, राजभाषा विभाग, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, मुंबई द्वारा आज मुंशी प्रेमचंद जी (Munshi Premchand) की 142वीं जयंती के उपलक्ष्‍य में प्रधान मुख्‍य सिगनल एवं दूरसंचार इंजीनियर एवं मुख्‍य राजभाषा अधिकारी ए.के.श्रीवास्‍तव (Chief Official Language Officer AK Srivastava)  की अध्‍यक्षता में मुंशी प्रेमचंद के व्‍यक्तित्‍व एवं कृतित्‍व पर विचार गोष्‍ठी का आयोजन किया गया।


इस अवसर पर उप महाप्रबंधक (राजभाषा) विपिन पवार ने मुंशी प्रेमचंद की जीवनी एवं उनके साहित्‍य का संक्षेप में आलेख प्रस्‍तुत करते हुए कहा कि मुंशी प्रेमचंद की सभी रचनाएं कालजयी हैं। उनके द्वारा लिखित रचनाओं को देश तथा विदेश के विश्‍वविद्यालयों में पढ़ाया जाता है और उन पर शोध किए जा रहे हैं।

उन्‍होंने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने सरल भाषा में समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधित्‍व करने वाले पात्रों को पाठकों के समक्ष प्रस्‍तुत किया। इसके पश्‍चात वरिष्‍ठ अनुवादक किशोर कुदरे द्वारा मुंशी जी की सुप्रसिद्ध कहानी ‘कश्‍मीर का सेब’ का वाचन किया गया।

तत्‍पश्‍चात प्रधान मुख्‍य सिगनल एवं दूरसंचार इंजीनियर एवं मुख्‍य राजभाषा अधिकारी ए.के.श्रीवास्‍तव (Chief Official Language Officer AK Srivastava) ने अपने संबोधन में कहा कि यह उनका सौभाग्‍य है कि मध्‍य रेल पर मुख्‍य राजभाषा अधिकारी के रूप में कार्यभार ग्रहण करने के पश्‍चात उन्‍हें राजभाषा विभाग की ओर आयोजित किए गए ऐसे कई आयोजनों में भाग लेने और हिंदी साहित्‍य से जुड़ने का अवसर मिला है।

उन्‍होंने इस संगोष्‍ठी में अतिथि वक्‍ता के रूप में आमंत्रित मुंबई विश्‍वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर एवं अध्‍यक्ष डॉ. करूणाशंकर उपाध्‍याय (Professor and President Dr. Karunashankar Upadhyay) जी का विशेष रूप से स्‍वागत करते हुए कहा कि हम सभी के लिए आज हर्ष का विषय है कि हिंदी साहित्‍य से जुड़ी एक महान हस्‍ती आज हमारे बीच उपस्थित है और हम सबको आज मुंशी जी के व्‍यक्तित्‍व एवं कृतित्‍व के बारे में विस्‍तार से जानकारी प्राप्‍त होगी।

तत्‍पश्‍चात संगोष्‍ठी में अपने विचार व्‍यक्‍त करते हुए डॉ. करूणाशंकर उपाध्‍याय (Dr. Karunashankar Upadhyay) ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) की सभी रचनाएं पाठकों के दिलों को छू लेती हैं। उनकी रचनाओं में प्रस्‍तुत किया गया समाज जीवन का चित्रण तथा पात्र पाठकों को अपने में से ही एक लगते हैं । प्रेमचंद जी के कई उपन्‍यासों और कहानियों का उल्‍लेख करते हुए उन्‍होंने कहा कि प्रेमचंद जी के साहित्‍य में हमें दहेज, लगान, शोषण, अछूत आदि जैसी कई सामाजिक समस्‍याओं का जीवंत चित्रण मिलता है।

उन्‍होंने कहा कि प्रेमचंद आलोचकों के बनाए रचनाकार नहीं थे। वे हमेशा जमीन से जुड़े रहे। उन्‍होंने कहा कि प्रेमचंद जी के साहित्‍य के बारे किसी को ज्‍यादा बताने की जरूरत नहीं है क्‍योंकि उनके साहित्‍य के बारे में किसी से पूछेंगे को कोई भी उनके पांच-छह उपन्‍यासों और कहानियों के नाम गिना देगा, उनके उपन्‍यास और कहानियां इतनी लोकप्रिय है।

उन्‍होंने कहा कि सरल, सादगीभरी भाषा तथा जीवन के सकारात्‍मक पक्ष को उठाना प्रेमचंद जी के साहित्‍य की प्रमुख विशेषता रही है। उन्‍होंने सभी से प्रेमचंद जी का साहित्‍य बार-बार पढ़ने का आग्रह किया। इस अवसर पर पारंगत परीक्षा में सफल कर्मचारियों को मुख्य राजभाषा अधिकारी के कर कमलों से प्रमाण पत्र प्रदान किए गए एवं मुख्य राजभाषा अधिकारी तथा मुख्य अतिथि के कर कमलों से राजभाषा विभाग के कर्मचारी वरिष्ठ अनुवादक श्री किशोर कुदरे के काव्य संग्रह हस्तक्षेप एवं गजल संग्रह कुछ तो ग़ज़ल सा का विमोचन कार्यक्रम संपन्न हुआ।

कार्यक्रम के अंत में मुख्‍यालय की राजभाषा अधिकारी श्रीमती दीपा मंद्यान (Official Language Officer Smt. Deepa Mandyan) ने सभी उपस्थितों के प्रति आभार व्‍यक्‍त किया ।

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