पिकबर्ड सोशियोकल्चरल सोसायटी के नाटक ‘संबोधन’ का मंचन को मिली सराहना

पिकबर्ड सोशियोकल्चरल सोसायटी के नाटक ‘संबोधन’ का मंचन को मिली सराहना

इटारसी। संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली (Sangeet Natak Akademi New Delhi) के सहयोग से संस्था पिकबर्ड सोशियोकल्चरल सोसायटी भोपाल (Pickbird Sociocultural Society Bhopal) द्वारा इटारसी (Itarsi) में नाटक संबोधन की प्रस्तुति ईश्वर रेस्टॉरेंट (Ishwar Restaurant) में की गई। नाट्य प्रस्तुति को यहां काफी सराहना मिली है। बड़ी संख्या में कला प्रेमियों ने नाटक का मंचन देखा।
नाटक ‘संबोधन’ पति, पत्नी और बेटी के बीच आपसी संबंधों को रेखांकित करता है। एक बेटी अपने पिता से पहली बार बीस वर्ष की हो जाने पर मिलती है। वह अपने पिता से जानना चाहती है कि पिता ने क्यों उसे उसके अधिकारों से वंचित रखा। पिता नाम का शब्द आखिर क्यों उसके लिए संबोधन बनकर रह गया है। वह जानना चाहती है कि प्रेम विवाह करने बाद भी आखिर ऐसा क्या घटित हुआ कि मां और पिता को अलग-अलग हो जीवन व्यतीत करना पड़ा? उस सब की पीड़ा आखिर उसे क्यों झेलनी पड़ी।

माता पिता और बच्चों के बीच जो आपसी रिश्ते होते हैं उन्हें तौला नहीं जा सकता और नहीं नापा जा सकता है, वे एक फूल की पंखुडियों की भांति आपस में एक दूसरे से गुथे होते हैं और परिवार को खुशबू से महकाते हैं। अगर कुछ पंखुडिय़ा भी टूटकर इधर-उधर हुईं तो पूरा फूल बिखर जाएगा। अर्थात परिवार बिखर जाएगा। नाटक संबोधन इंगित करता है मानवता के उन व्यवहारों की और जो रिश्ते तो बना लेते हैं पर निर्वाह करते करते उन्हें सिर्फ संबोधन तक ही सीमित कर लेते हैं। इन्हीं रिश्तों की गाड़ों को सुलझाने का प्रयास है नाटक संबोधन।

नाट्य प्रस्तुति देखकर पता चलता है कि पात्रों के साथ थोड़े से प्रयोगों को कर नाटक को नयापन देने का प्रयास किया है। सिर्फ दो पात्र पूरे समय मंच पर अपने आपको परिवर्तित करते नजर आते हैं यही परिवर्तन क्षण प्रतिक्षण हम अपने रिश्तों में भी महसूस करते हैं। यह प्रयास है हमें खुद को समझने का क्या रिश्ते सिर्फ संबोधन हैं या संबोधनों में रिश्ते छिपे हैं। संबोधन का लेखन और निर्देशन सुनील राज ने किया है। पिता की भूमिका में सुनील राज स्वयं नजर आते हैं और आरती विश्वकर्मा मां और बेटी की दोहरी भूमिका में दिखीं। मुकेश जिज्ञासी की प्रकाश व्यवस्था बेहतर रही तो संगीत संचालन ऋितिक शर्मा सार्थक त्रिपाठी का बेहतर तालमेल दिखा। कास्ट्यम भारती साहू और समृद्धि त्रिपाठी ने की। मंच निर्माण हिमांशु प्रजापति, नीलेश रंजन, पीयूष सैनी का है।

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AUTHORRohit

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