PK वन खदान बंद होने के बाद उजाड़ सी हो गई है बस्ती

पाथाखेड़ा की राजधानी पुराने बाजार में छाई मायूसी
प्रमोद गुप्ता
सारणी /पाथाखेड़ा। कोल अंचल क्षेत्र पाथाखेड़ा में किसी जमाने में 12 खदान और 14 हजार कर्मचारी कार्यरत हुआ करते थे। लेकिन लगातार भूमिगत खदानों के बंद होने के कारण पाथाखेड़ा शहर पर भी विपरीत असर पडऩे लगा है। किसी जमाने में पाथाखेड़ा का हृदय स्थल कहा जाने वाला पुराना बाजार हमेशा रौनक से गुलजार हुआ करता था। लेकिन अब पुराने बाजार से रौनक गायब है और शहर मायूसी की तरह दिखाई दे रहा है। शहर के व्यापारियों की मान्यता खदानों के बंद होने और कर्मचारियों के सेवानिवृत्त तो होने के कारण लगातार पाथाखेड़ा क्षेत्र की जनसंख्या कम होते जा रही है, जिसकी वजह से व्यापार पर विपरीत असर पडऩे लगा है। व्यापार की स्थिति यदि क्षेत्र में इसी तरह बनी रही तो क्षेत्र के लोगों को और व्यापारियों को पाथाखेड़ा से पलायन होने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।सरकार और जनप्रतिनिधियों की ओर से कभी भी क्षेत्र को गुलजार करने के लिए कोई योजना तैयार नहीं की गई जिसका असर नगरी निकाय चुनाव में देखने को मिल रहा है।
थमा कनवेयर बेल्ट
पाथाखेड़ा क्षेत्र की मदरमाइंस कहे जाने वाली पी-1 और पीके-2 खदान के बंद हो जाने के कारण 7 वार्डों में मायूसी का माहौल है। पुराने बाजार में कभी 24 घंटे कनवेयर बेल्ट की चाहत हुआ करती थी। लेकिन अब उसके स्थान पर खंडहर के पिलर बचे हुए हैं जो पाथाखेड़ा की बंद हो चुकी पीके-वन खदान की मौजूदगी दर्ज करा रही है। अब आलम यह है कि बंद पीके-वन खदान के पिलर भी इस स्के्रप चोरों का निशाना बन रहे हैं। इसकी जानकारी डब्ल्यूसीएल के सुरक्षा विभाग को होने के बाद भी इसकी रोकथाम के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की जा रही है।

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