काष्ठ ऋण निवृत्ति हेतु वृक्षारोपण करें : आचार्य परसाई

Post by: Rohit Nage

नर्मदापुरम। श्रावण के द्वितीय सोमवार को विंध्याचल शेड (Vindhyachal Shed) सेठानी घाट (Sethani Ghat) पर संपूर्ण मास होने वाले महारुद्राभिषेक में आचार्य सोमेश परसाई (Acharya Somesh Parsai) ने शिव भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि हम जीवन भर प्रकृति का दोहन करते हैं।

जन्म के समय उपयोग में आने वाले पालने (लकड़ी के झूले )से लेकर मृत्यु के समय दाह संस्कार हेतु लकड़ी तक हम वृक्षों को काट कर उपयोग में लेते हैं, जिससे हम प्रकृति के ऋणी हो जाते हैं। इस ऋण को धर्म की भाषा में काष्ठ ऋण कहते हैं। इसकी निवृत्ति हेतु प्रत्येक व्यक्ति को न केवल वृक्षारोपण करना चाहिए, वरन हमारा कत्र्तव्य है कि हम रोपित किये हुए वृक्ष का पुत्र के भांति पालन भी करें। गुरुदेव ने रक्त दान का महत्त्व बताते हुए कहा कि रक्तदान मानवता के हित मे किया दान है।

रक्तदान केवल किसी का एक का जीवन नहीं बचाता बल्कि एक पूरे परिवार के खुशी लाता है। इसके पूर्व पूज्य गुरुदेव ने बताया कि आज का जो मुहूर्त है, वह बहुत विशेष मुहूर्त है। ये मुहूर्त 19 वर्ष बाद आया है, आज हरियाली अमावस्या, अधिकमास, सोम प्रदोष के साथ साथ भगवान सूर्यनारायण (Lord Suryanarayan) का सायं 4 बजे तक उत्तरायण है, ये दुर्लभ मुहूर्त है। इसके पूर्व आज भगवान पार्थिवेश्वर का संगीतमय वैदिक मन्त्रों व हर-हर महादेव के जयघोष के बीच दूध दही आदि दृव्यों सहित अनेक औषधियों से अभिषेक किया। इसके पश्चात दिव्य भस्मआरती व 151 दीपकों से महाआरती की गयी जिसमें शिवार्चन समिति के सदस्य सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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