कविता: अजीब होती है दास्तां-ए-मोहब्बत…

अजीब होती है दास्तां – ए – मोहब्बत,
कभी मुकम्मल तो कभी अधूरी।
कभी मुश्किलों का दरिया,
तो कभी सहजता से पूरी।
कभी इश्क की तमन्नाएं पूरी,
तो कभी अदावत बने मजबूरी।
कभी हो वस्ल – ए – यार तो,
कभी रहे जन्मों की दूरी।
अदिति टंडन (Aditi Tandan)
आगरा ( उ.प्र. )
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