अभिमान भगवान की भक्ति में सबसे बड़ी बाधा है

श्री शिवमहापुराण कथा में शिवविवाह उत्सव मनाया

इटारसी। अभिमान भगवान की भक्ति में सबसे बड़ी बाधा है। मनुष्य को अभिमान रहित जीवन जीना चाहिए। परमात्मा ने जो भी दिया है, उसका धन्यवाद देते हुए उसे सत्कर्म में लगाना चाहिए।

अभिमान को भी नशे का नाम दिया गया है, भगवान ने धन दिया है धन से सत्कर्म करें। शरीर को सेवा में लगाएं, मन से भगवान का नाम संकीर्तन करें और जीवन को धन्य बनाने का प्रयास करें। उक्त उद्गार वृंदावन गार्डन में जारी संगीतमय श्री शिवमहापुराण कथा के तीसरे दिन नर्मदापुरम से पधारे पं अनिल मिश्रा (Pt Anil Mishra) ने व्यक्त किए।

कथाव्यास पं मिश्रा ने कहा कि सरलता भगवान को अपनी और आकर्षित करती है अत: मनुष्य को सरल होकर भगवान की भक्ति करना चाहिए। जिसमें अभिमान है वह भगवान का भक्त नहीं हो सकता और जो भगवान का भक्त है वह सरल होगा। ईश्वर को पाने का एकमात्र उपाय है सच्चा प्रेम।

हमारे जीवन में आने वाले सुख और दुख हमारे कर्मों का फल है कोई किसी को सुख नहीं दे सकता और कोई किसी को दुख नहीं दे सकता यदि हमने अच्छे कर्म किए हैं, तो अच्छे फल के रूप में सुख मिलेगा और गलत कर्म किए हैं तो दुख मिलेगा।

इसी के साथ पं मिश्रा ने संध्या की उत्पत्ति की कथा, सती चरित्र, शिव विवाह की कथा सुनाई। कथा में भगवान शंकर माता पार्वती की झांकी सजाकर विवाह उत्सव मनाया गया। सभी श्रद्धालुओं ने झूमते हुए नाचते हुए उत्सव का आनंद लिया। भगवान शंकर माता पार्वती की महाआरती की गई।

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