
आज सभी एशियाई देशों के लिए गौरवान्वित होने वाला क्षण
– फीफा वल्ड कप में जापान में स्पेन को धूल चटाई
विश्व का सबसे विनम्र और अनुशासित देश जापान ने वो किया जिसकी कल्पना किसी भी खेल विश्लेषक ने खेल के पहले नहीं की थी कि स्पेन का पराभव होगा।
द्वितीय विश्वयुद्ध की महाशक्ति रही जापान ने जब पहले मैच में जर्मनी को पराजित किया, तो यूरोप के खेल विशेषज्ञों ने इसे तुक्का बताया था। फुटबॉल को अपनी विरासत समझने वाले बड़बोलों के आज मुंह बंद हो गए। जापान की जीत ने फुटबाल जगत में अपना झंडा गाड़ा है, अपने शौर्य को सिद्ध किया है।
कुछ वर्ष पूर्व हॉलेंड के महानतम खिलाड़ी आईएन रोबिन ने कहा था कि एशियाई देशों के लोग इस खेल के बिलकुल भी अनुकूल, सूटेबल नहीं हैं। उनकी कद/काठी कम होती है, उनमें इतना केलीवर नहीं होता कि वो 90 मिनट तक श्रेष्ठ फुटबाल खेल सकें। सही जवाब मिल गया, आईएन रोबिन को।
अनुशासित देश या समाज का अनुकूल प्र्रभाव न केवल समृद्धि, विकास, शिक्षा, राजनीति, बल्कि खेल में परिलक्षित होता है, ऐसा जापान ने सिद्ध किया। जब सऊदी अरब ने अर्जेंटीना को हराया था, तब सभी खाड़ी देशों ने अगले दिन राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया था। जब हॉकी इंडिया ने ओलंपिक में जर्मनी को हराकर, ब्रोंज जीता था, तब क्या भारत को अगले दिन राष्ट्रीय अवकाश नहीं करना चाहिए था?
जब किसी देश, वहां के समाज, वहां की व्यवस्था, वहां का इंफ्रास्ट्रक्चर किसी खेल के साथ पूरी दम से खड़े होते हैं न, तब जापान जैसे देश फुटबाल की महाशक्ति स्पेन को, जर्मनी को धूल धूसरित कर पाते हैं। आज जापान के साथ-साथ सभी एशियाई देशों के लिए हर्ष का, उत्साह का, उत्सव मनाने का समय है।