बैंक से लोन का छल करने वाले दो आरोपी को सजा एवं जुर्माना

Post by: Rohit Nage

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इटारसी। प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हर्ष भदौरिया (Harsh Bhadoria) की अदालत ने सेंट्रल मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक (Central Madhya Pradesh Gramin Bank) शाखा सुखतवा (Sukhtawa) के साथ छल की प्रवंचना कर अपराधिक संयंत्र का गठन करके 500000 का फर्जी तरीके से लोन स्वीकृत कर लोन को अपने स्वयं के हित में दोहन करने का आरोपी पाते हुए संजीव (Sanjeev) उर्फ संगम शर्मा (Sangam Sharma) पिता सियाराम (Siyaram) उम्र 52 वर्ष निवासी ग्राम सुखतवा को धारा 120 बी भारतीय दंड विधान के तहत 1 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 50000 के अर्थदंड से दंडित किया है। इसी तरह धारा 420 भारतीय दंड संहिता में आरोपी संजीव शर्मा को 5 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा एवं 5 लाख रुपए के जुर्माने से दंडित किया है। अर्थ दंड जमा नहीं करने पर आरोपी संजीव शर्मा को 6 माह के स श्रम कारावास एवं 1 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा अलग से भुगतनी होगी।

इसी प्रकरण के सह आरोपी दीपक पिता क्रश धुर्वे (Deepak Krush Dhurve) उम्र 26 वर्ष निवासी ग्राम कालाआखर थाना केसला (Police Station Kesla) को भारतीय दंड विधान की धारा 120 बी में दोषी पाते हुए एक वर्ष के सश्रम कारावास की सजा एवं 50000 के अर्थ दंड से तथा धारा 417 भारतीय दंड विधान में दोषी पाते हुए एक वर्ष के सश्रम का रा वास की सजा एवं 50000 के अर्थ दंड से दंडित किया है। आरोपी दीपक धुर्वे के द्वारा अर्थदण्ड अदा नहीं करने पर कम से 6-6 माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास और भुगतना होगा। दोनों आरोपी पूर्व से जमानत पर थे, अत: उनके जमानत मुचलके निरस्त कर दोनों को सजा भुगतने हेतु सजा वारंट से केंद्रीय जेल नर्मदापुरम (Central Jail Narmadapuram) भेज दिया है। आरोपी दीपक धुर्वे 31 जुलाई 19 से 14 जनवरी 22 तक न्यायिक अभिरक्षा में रहा है, तथा आरोपी संगम शर्मा को 28/5/19 को गिरफ्तार कर वह 29 अगस्त 2019 तक न्यायिक अभिरक्षा में रहा है।

अभियोजन की ओर से पैरवी करने वाले अपर लोक अभियोजक राजीव शुक्ला (Rajeev Shukla) ने बताया कि दीपक धुर्वे निवासी कालाआखर को व्यवसाय प्रारंभ करने हेतु 20 दिसंबर 13 को 500000 का ऋण सेंट्रल मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक शाखा सुखतवा ने ऋण के रूप में प्रदान किया था परंतु दिए ऋण की किस्तों की प्राप्ति न होने परशाखा प्रबंधक द्वारा जब ऋणी के पते पर निरीक्षण किया तब पाया कि ऋण प्राप्त करने वाले दीपक धुर्वे द्वारा कोटेशन के द्वारा दौरान जिस जगदंबा टेंट हाउस इटारसी के कोटेशन एवं बिल लगाए हैं वह अस्तित्व में है ही नहीं। ऋणी को ऋण का भुगतान करते समय ऋणी के द्वारा बैंक वाउचर भी हस्ताक्षरित नहीं किए थे। वर्तमान शाखा प्रबंधक ने ऋण दिए जाने के संबंध में की गई अन्य खातो की जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी। तब आरोपी दीपक धुर्वे के व्यवसाय एवं निवास स्थल पर निरीक्षण किया जहां पाया कि टेंट हाउस का व्यवसाय प्रारंभ ही नहीं किया था एवं जिस अचल संपत्ति को ऋण प्राप्त करने के संबंध में बैंक में बंधक रखा था वह भी अ परिवर्तित कृषि भूमि थी।

फरियादी बैंक द्वारा दीपक से पूछताछ करने पर उसके द्वारा एक शपथ पत्र पर कथन दिया था कि 20/12 /13 को 500000 का लोन पास कराया था। टेंट हाउस व्यवसाय की जानकारी के अभाव में संजीव शर्मा एवं फरियादी बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक सतीश चंद्र जैन (Satish Chandra Jain) ने मिली भगत कर लोन स्वीकृत कराया एवं समस्त दस्तावेज एकत्र कर धोखाधड़ी करके षड्यंत्र पूर्वक कोटेशन में फर्जी बिल लगाकर लोन स्वीकृत कराया है। टेंट हाउस के व्यवसाय हेतु कोई भी समान नहीं लिया था और ना ही उसे मौके पर बैंक वालों को प्राप्त हुआ है। बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए संजीव शर्मा के साथ मिलकर फर्जी तरीके से दीपक धुर्वे के नाम पर टेंट हाउस व्यवसाय हेतु 500000 का ऋण स्वीकृत कर बैंक को आर्थिक क्षति पहुंचाई गई थी।

आरोपी द्वारा फर्जी तरीके से कृषि भूमि के कूट रचित दस्तावेज तैयार कर आरोपी गण द्वारा ऋण स्वीकृत किए जाने की शिकायतबैंक शाखा सुखतवा के प्रभारी अधिकारी द्वारा 20 नवंबर 2018 को थाना प्रभारी केसला को लिखित में आवेदन पत्र देकर की गई थी तथा 19/ 12/ 18 को पुलिस अधीक्षक होशंगाबाद (Superintendent of Police Hoshangabad) को लिखित में आवेदन देकर उक्त शिकायत से अवगत कराया गया था। इस प्रकरण में अभियोजन की ओर से पैरवी भूरेसिंह भदोरिया (Bhure Singh Bhadoria) के द्वारा 16 साक्ष्य के कथन जीपी राजीव शुक्ला के साथ मिलकर न्यायालय में प्रस्तुत कराए थे। प्रकरण में शासन की ओर से संयुक्त रूप से अंतिम तर्क एजीपी राजीव शुक्ला, एजीपी भूरेसिंह भदोरिया एवं एजीपी सत्यनारायण चौधरी ने प्रस्तुत किए। जिसके आधार पर कोर्ट ने आरोपी संजीव शर्मा एवं दीपक धुर्वे को उक्त सजा से दंडित किया है, तथा आरोपी सतीश जैन को पर्याप्त एवं ठोस साक्ष के अभाव में दोष मुक्त कर दिया है।

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