जनकपुरी में धनुष भंग और सीता राम विवाह से रावण का अहंकार नष्ट हुआ था
इटारसी। श्री द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर में श्री राम जन्मोत्सव समिति द्वारा आयोजित श्री राम कथा महोत्सव में चतुर्थ दिवस युवराज स्वामी श्री रामकृष्णाचार्य महाराज ने रामकथा को विस्तार देते हुए कहा कि जनकपुरी में पूरी दुनिया के श्रेष्ठ राजा उस धनुष को तोडऩे आए थे जिसकी प्रतिज्ञा राजा जनक ने लेकर यह प्रण किया था कि जो भी इस धनुष को तोड़ेगा उस राजा से वह उनकी पुत्री जानकी का विवाह कर देंगे। कई देश के राजाओं ने प्रयास किए परंतु धनुष नहीं तोड़ पाए। तब राजा जनक को लगा कि उन्होंने यह प्रण नहीं लेना था।
आचार्य ने कहा कि राजा जनक ने जब कहा कि ऐसा लगता है पृथ्वी वीरों से खाली हो गई है, उसी समय सभा में मौजूद लक्ष्मण को यह बात पसंद नहीं आई और उन्होंने राजा जनक की ओर इशारा करते हुए कहा कि जिस सभा में रघुवंशी बैठे हों वहां इस तरह की बातें शोभा नहीं देती। प्रभु श्री राम ने छोटे भाई लक्ष्मण के गुस्से को शांत किया। आचार्य ने कहा कि लंका के राजा दशानन रावण का भी अहंकार उस समय चकनाचूर हो गया। जब उनसे भी धनुष तोड़ते नहीं बना। तब सबकी निगाहें प्रभु श्रीराम पर थी, क्योंकि जानकी जी का विवाह प्रभु श्री राम के साथ ही विधाता ने निश्चित किया था। गुरु विश्वामित्र से आज्ञा लेकर प्रभु श्री राम ने धनुष भंग किया।
आचार्य ने कहा कि यह सब कुछ पलक झपकते ही हो गया, क्योंकि विधि का विधान निश्चित था। स्वामी रामकृष्णाचार्य ने धनुष भंग के पहले पुष्प वाटिका में सीता जी का अपनी शक्तियों के साथ गिरिजा पूजन करने जाना, उसी रास्ते से प्रभु श्री राम लक्ष्मण का निकलना अत्यधिक आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया। किस तरह दोनों ने एक दूसरे को छुप छुप कर देखा था। आचार्य ने कहा कि धनुष भंग के बाद वरमाला हुई। फिर राजा जनक ने अपने गुरु की आज्ञा लेकर महाराजा दशरथ को अयोध्या से बारात जनकपुरी लाने को कहा। इस हेतु जनकपुरी से अयोध्या के लिए पत्रिका लेकर विशेष दूत अयोध्या भेजे गए। जिन्होंने राजा दशरथ को वह पत्रिका भेंट की।
श्री द्वारकाधीश बड़ा मंदिर की इस भव्य रामकथा में बड़ी संख्या में इटारसी, सिवनी मालवा, पिपरिया, बैतूल, नर्मदापुरम क्षेत्रों के महिला पुरुष श्रोता आ रहे हैं। चतुर्थ दिवस की कथा में समिति के अध्यक्ष सतीश अग्रवाल सावरिया, रमेश चांडक, कार्यकारी अध्यक्ष जसवीर सिंह छाबड़ा, सचिव अशोक शर्मा, कटनी भक्तमंडल से पधारे राजेन्द्र गुप्ता, विकास गुप्ता, कपिल गुप्ता, अजय गुप्ता, हरदा से पधारी उषा सोमानी, शोभा राठी, बैतूल से पुष्पा राठी, अंतर्राष्ट्रीय कवि राजेन्द्र मालवीय, बीके पटेल ने पुष्पहार से स्वागत किया।
समिति के प्रवक्ता भूपेंद्र विश्वकर्मा ने बताया कि द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर तुलसी चौक का पूरा परिसर श्रद्धालुओं से भरा हुआ था एवं सायंकाल 7 बजे से रात्रि 10 बजे तक श्रद्धालुओं ने रामकथा का भरपूर आनंद ले रहे हैं। संगीत कलाकार सुनील साहू ने बांसुरी पर संगत दी। तबले पर संजू अवस्थी, बैंजो पर मिथिलेश त्रिपाठी ने संगत दी भजनों की सुमधुर प्रस्तुति सुश्री ललिता ठाकुर ने की। विप्र बंधु पं गिरीश शर्मा एवं पं राघवेन्द्र दुबे रामायण पाठ कर रहे हैं। महाराज जी ने ठाकुर श्री द्वारिकाधीश के भक्त जो मंदिर परिसर में हमेशा उपस्थित रहते हैं। उनके निकट जाकर पुष्पहार पहनाकर स्वागत किया।