
गणतंत्र दिवस विशेष: आओ नव गणतंत्र का स्वागत करे…
– पंकज पटेरिया :
जो सुलगता जज्बा दिल में लेकर चलते हैं, हर मुश्किल उनके हाथों में, रचा करती है मेहंदी। कामयाबी उनके चरण पखारा करती है। बहुत स्याह सिसकती यादें, वक्त की दीवार पर छोड़, समय की नाव में बैठ यह साल रुखसत हो रहा है। लेकिन सलाम उस तपस्वी ऊर्जावान नेतृत्व को जिसने अपने कुशल प्रबंधन निर्देशन और युद्ध स्तर तैयारी से मृत जीवन को नव ऊर्जा उत्साह शक्ति और ताजगी से भर दिया। आज राष्ट्र फिर प्रगति पथ पर दौड़ने लगा। काले अतीत के कुछ साल पहले के कॉलपत्र देखने पर लगता है कि किस तरह गणतंत्र पर खतरा मंडरा रहा था। गण और तंत्र अलग-अलग सिसक रहे रखे थे। समूचा गणतंत्र डगमगा रहा था। अक्षरों की यह महागीता के अक्षर अक्षर तड़पने लगे थे सिसकने ने लगे थे, पन्ना पन्ना सर्वजन का पीड़ा से भीगा तड़प रहा था। देवयोग से एक ऐसे सूर्य का उदय हुआ जिसने देश का भाग्य बदल दिया ।
यह सब तप पथ का अविराम चलने वाला पथिक कर सकता है। ऐसे में जब अमन चैन के बाग में जगह जगह से नफरत की चिंगारियां भी फेंकी जा रही हो उन्हें अपनी मजबूत हथेलियों से मसल कर सबक सिखाना बहुत बड़ी वैश्विक मिसाल है। उसी जांबाज कमांडर के नेतृत्व में हमने हर संकट का सामना कर नए फूल खिलाए हैं और सर्व सर्वजन सर्व धर्म समादर के दीप जलाए हैं।
आइए जो दीप प्रज्वलित है हम अखंड बनाए रखें। हर संभावित संकट के लिए तैयार रहें, संगठित रहें। राष्ट्रप्रेम की ज्योति जलाए रखें। आइए गणतंत्र की अगवानी करें, हर्षोल्लास से स्वागत करें। माथे पर रोली चंदन अक्षत का तिलक करें। याद रखिए मातृभूमि पितृ भूमि धर्म भूमि महान है, भारत भू महान है। नये इतिहास की गाथा लिखते गणतंत्र का स्वागत करें।
जय हिंद जय भारत जय गणतंत्र।
पंकज पटेरिया
संपादक शब्द ध्वज, होशंगाबाद
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