“गुरु गोविंद सिंह और हिंदी साहित्य” विषय पर शोध संगोष्ठी का आयोजन

“गुरु गोविंद सिंह और हिंदी साहित्य” विषय पर शोध संगोष्ठी का आयोजन

होशंगाबाद। शासकीय नर्मदा महाविद्यालय में विश्व बैंक परियोजना के तहत हिंदी विभाग के तत्वावधान में “गुरु गोविंद सिंह और हिंदी साहित्य” विषय पर शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया। विषय प्रवर्तन मे संयोजक डॉक्टर के जी मिश्र ने विषय प्रवर्तन में बताया कि गुरु गोविंद सिंह ने किस तरह संस्कृति और समाज के संरक्षण के लिए भक्ति और शक्ति का दोनों का आश्रय लिया और साहित्य की रचना भी की। प्राचार्य डॉक्टर ओ एन चौबे ने कहा की गुरु गोविंद सिंह ने समाज को अस्त्र शस्त्र और शास्त्रों द्वारा दिशा देने की कोशिश की तथा गुरु परंपरा का निर्वाह करते हुए खालसा पंथ की स्थापना की। डॉ. रवि उपाध्याय अपने वक्तव्य में बोले कि संत शिरोमणि गोविंद सिंह जी ने किस तरह मुगलों की शोषणकारी नीतियों और यातनाओं से समाज की रक्षा करते हुए हमें सिख परंपरा द्वारा गौरवशाली इतिहास प्रदान किया है। अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. संतोष व्यास ने गुरु  को शक्ति और शौर्य का समन्वय घोषित किया तथा उनके कृतित्व और व्यक्तित्व का शरीर मन और बुद्धि के आधार पर विश्लेषण प्रस्तुत किया। एम-ए- तृतीय सेमेस्टर के छात्र आकाश अहिरवार और वैशाली प्रधान ने अपने शोध पत्र का अत्यंत प्रभावशाली और रोचक ढंग से वाचन किया। डॉ अंजना यादव ने सार प्रस्तुतीकरण और आभार तथा तकनीकी सहयोग अश्विनी यादव ने किया। कार्यशाला में डॉ. एन. आर अडलक, डॉ. रश्मि तिवारी, डॉ. संजय चौधरी, डॉ मीना कीर, डॉक्टर प्रीति उदयपुर, डॉक्टर दिनेश श्रीवास्तव, डॉ जयश्री नंदनवार, डॉ एसके झा, डॉ हंसा व्यास, डॉ. सविता गुप्ता सहित अत्यधिक संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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