श्री धृष्णेश्वर ज्योर्तिलिंग के पार्थिव स्वरूप के पूजन एवं रूद्राभिषेक के साथ विश्राम हुआ

Post by: Rohit Nage

इटारसी। श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर लक्कडग़ंज इटारसी में श्री धृष्णेश्वर ज्योर्तिलिंग के पूजन एवं रूद्राभिषेक के साथ चल रहे पार्थिव ज्योर्तिलिंग पूजन एवं रूद्राभिषेक का विश्राम हो गया।

यजमान रजत मिश्रा एवं श्रीमती प्रीति मिश्रा ने घृष्णेश्वर ज्योर्तिलिंग के पार्थिव ज्योर्तिलिंग पूजन एवं रूद्राभिषेक किया। मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे, आचार्य पं. सत्येंद्र पांडेय एवं आचार्य पं. पीयूष पांडेय के द्वारा कराया जा रहा था। शिव ही ब्रम्हा और विष्णु है। शिव साक्षात परम सत्य है। शिव शून्य है तो शिव अनंत भी है। शिव के बिना जीवन की कल्पना अधूरी है चाहे देवता हो या मानव बिना शिव पूजन के किसी का उद्धार नहीं हुआ। सावन मास में शिव पूजन का विशेष फल मिलता है।

उक्त उदगार मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे ने द्वादश ज्योर्तिलिंग पूजन और अभिषेक के साथ विश्राम समारोह के अवसर पर भगवान धृष्णेश्वर ज्योर्तिलिंग की महिमा बताते हुए व्यक्त किए। श्री धृष्णेश्वर ज्योर्तिलिंग की महिमा और इतिहास बताते हुए पं. विनोद दुबे ने कहा कि इस ज्योर्तिलिंग के दर्शन बिना 12 ज्योर्तिलिंग की यात्रा अधूरी मानी जाती है इसलिए यात्री यहां अवश्य आते हैं।

महाराष्ट्र के औरंगाबाद से पश्चिम की ओर 30 किलोमीटर दूरी पर वेरूल गांव के समीप शिवालय नाम के तीर्थ स्थान पर धृष्णेश्वर दिव्य ज्योर्तिलिंग है। यहां पर कालांतर में नाग पूजक आदिवासियों की वस्ती थी। नाग जमीन में जिस स्थान पर रहते है उसी स्थान को बाबी पहले है। समय चलते यह नाम वारूल और फिर वेरूल हो गया।

मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे ने उक्त ज्योर्तिलिंग की कई कथाएं अलग-अलग ढंग से विस्तार से बताई और कहा कि यहां पर शिवजी का वास है क्योंकि इस लिंग की स्थापना माता पार्वती ने की थी। इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर पूरी दुनिया में एकमात्र ऐसी महिला हिंदू रानी थी जिन्होंने देष के बारह ज्योर्तिलिंग का समय-समय पर जीर्णाेद्धार कराया उसमें धृष्णेश्वर भी एक था। पार्थिव द्वारश ज्योर्तिलिंग पूजन का विश्राम शुक्रवार को श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर लकडग़ंज इटारसी में श्री पार्थिव द्वादश ज्योर्तिलिंग के 12 दिवसीय अनुष्ठान का शाम 5:30 बजे विश्राम हो गया है।

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