नरेंद्र मोदी राजनेता रूप में, ऋषि व्यक्तित्व एक संस्मरण
झरोखा: पंकज पटेरिया: वैश्विक नेता रूप में विश्व मंच पर प्रतिष्ठित और विशाल समुदाय की गूंजती करतल ध्वनि, जयघोष के मध्यस विनय शीश झुकाए साभार, अभिवादन करते, हमारे जनप्रिय प्रधानमंत्री राजनेता के रूप मे एक ऋषि है। यू कहने में गुरेज नहीं होगा की चोला सफल लीडर का, पर अंदर आत्मा एकतपस्वी की हैं। तपस्वी के कौन से गुण उसे साधारण जमात से अलग असाधारण दर्जा प्रदान करते हैं। तो सीधा उत्तर होता है, जिसमे त्याग, तप, आत्म, अनुशासन, परोपकारी प्रवृति, ओर सबके प्रति समान प्रेम सद्भाव हो। जो स्वहित से ऊपर केवल परहित की चिंता और बेहतरी के लिए सोचता हो।
आज प्रधानमंत्री के व्यक्तिव में उनकी जीवन यात्रा को, पारिवारिक पृष्ठभूमि को देखते हुए उनमें यह दर्शन होता हैं। जो अपने राष्ट्र के पूर्व राजनेताओं की पंक्ति में कुछ ही गिने चुने व्यक्तियों मे देखने का सौभाग्य मिला जिनका पुण्य स्मरण कर हम श्रद्धानत होते है। मोदी जी को एक बार निकट से देखने का और बातचीत का अवसर ढाई दशक पहले मुझें संभवत 1993 मे मिला था। मैं दैनिक भास्कर का बतौर वरिष्ठ संवाददाता के रूप में उनका साक्षातकार लेने पूर्व राजस्वमंत्री श्री मधुकर राव हर्णे के निवास गया था।मधु दादा ने परिचय कराया था, वे बहुत स्नेह और सौहाद्र से मिले थे, बहुत आत्मीय ढंग से चर्चा हुई थी।
पहली मुलाकात मे उनके कठोर तपस्या मे तपकर कुंदन बने व्यक्तिव की झलक मिल रही थी। वे उस समय भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री थे। उनका ताव, तेवर उत्कट राष्ट्र प्रेम और देशहित समर्पण ने अभिभूत कर दिया था। राष्ट्रीय अंतर, राष्ट्रीय मुद्दों सहित देश आंतरिक सामाजिक बदली बयार, मानवीय मूल्यों के हास राजनैतिक अवमूल्यन परिवारवाद, पूंजीवाद, देश की तात्कालिक दशा.दिशा पर व्यापक चर्चा हुई। प्रत्येक प्रश्न के मोदी जी ने बहुत सटीक उत्तर दिए थे। उनकी दूरदर्शिता कमाल थी, आज जो निर्णय उन्होंने देशहित मे लिए और जो अदभुत साहसिक आयाम उद्घाटित किए, उन्हे देख लगता है कि उनसे हुई बातचीत में उसका ट्रेलर हमने देखा था। आदरणीय भाभी; मधु दादा की पत्नी द्वारा सर्व किए गए बेसन लड्डू, पकोड़े साथ खाते चाय पीकर चर्चा समाप्त हुई थी। आज 71 वर्ष पूरे कर मोदी जी 72 वे वसंत की ओर राष्ट्र की अलख जगाए चल रहे है। उनके जन्म दिन पर देश के साथ विदेशों से जिस तरह जोश खरोश से बधाईयां दी जा रही है, वह उनकी उर्जस्विता निर्णय क्षमता, और कर्म योगी साधना का परिणाम है। उनके तेजस्वी नेतृत्व देश में देश सदा प्रगति सिंदूरी शिखर छुए। हम सब आपस मे आपसी भाई चारे प्यार मोहब्बत से रहते हुए मन, वचन, कर्म से राष्ट्र नेतृत्व के साथ रहे। यहीं आज की आवश्कता है। जय हिंद।
पंकज पटेरिया, संपादक शब्द ध्वज
वरिष्ठ पत्रकार साहित्य कार।
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