दशहरा के दिन ही है साईं बाबा की पुण्यतिथि, साई भक्‍त इस विधि से करें पूजन 2022

दशहरा के दिन ही है साईं बाबा की पुण्यतिथि, साई भक्‍त इस विधि से करें पूजन 2022

साईं बाबा पुण्यतिथि, जाने शिरडी में आयोजित होने वाले कार्यक्रम, साईं बाबा की जन्म तिथि, साई बाबा बनने की कहानी, साई बाबा के चमत्कार साईं बाबा पूजन विधि सम्‍पूर्ण जानकारी 2022 

साईं बाबा पुण्यतिथि (Sai Baba Death Anniversary)

साईं बाबा

शिरडी के साई बाबा की पुण्यतिथि प्रतिवर्ष दशहरा के दिन ही मनाई जाती है, साई बाबा ने 15 अक्टूबर,1918 को दशहरें के दिन दोपहर 2:30 बजे समाधि ली थी। इसी दिन को साई बाबा का समाधि दिवस कहा जाता है। इस वर्ष साई बाबा की पुण्यतिथि 05 अक्टूबर,2022 को है।

साई बाबा की पुण्यतिथि का महा उत्‍सब शिरडी में बडी ही घूम-धाम से लगातार तीन दिनों दिनों तक मनाया जाता है। इस दिन लाखों लोग शिरडी बाबा साई के दर्शन करने जाते हैं।

शिरडी में आयोजित होने वाले कार्यक्रम (Events in Shirdi)

साईं बाबा

इस महा उत्‍सब के पहले दिन शुरुआत काकड़ आरती से होता हैं। और साई बाबा की प्रतिमा को रथ में स्‍थापित करकें जुलूस निकाला जाता हैं। और द्वारकामाई में साई बाबा का सच्चरित्र का अखंड पारायण पाठ किया जाता हैं। रात में साई बाबा की पालकी के साथ शोभायात्रा निकाली जाती है।

दूसरे दिन साई बाबा के स्‍नान के लिए गोदावरी नदी से जल लाया जाता हैं। और स्‍नान के बाद भजन-कीर्तन और आरती के साथ तीर्थ प्रसाद वितरित किया जाएगा।

तीसरें दिन गोपालकला कीर्तन और दही हांडी कार्यक्रम आयोजित किया जाता हैं। आरती और प्रसाद वितरण किया जाता हैं और लाखों लोगों सहित ग्रामवासियों को फ्री भोजन कराया जाता हैं। इन दिन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान शिरडी का साई मंदिर पूरी रात खुला रहता है

साईं बाबा का जन्म तिथि (Sai Baba Date of Birth)  

साई बाबा का जन्म 28 सितंबर,1836 को हुआ था। इसलिए प्रतिवर्ष 28 सितंबर को साई बाबा का जन्मोत्सव पूरें भारत में बडी मनाया जाता है।

यह भी पढें : शुक्र प्रदोष व्रत के दिन बन रहा है खास योग, जाने विशेष पूजन विधि 2022

साई बाबा बनने की कहानी (Story of Becoming Sai Baba)

साईं बाबा

पौराणिक कथा के अनुसार, सन् 1854 ईं में पहली बार साईं बाबा एक नीम के वृक्ष के नीचे समाधि में लीन शिरडी में दिखाई दिए थें। उस समय साई बाबा की आयु लगभग 16 वर्ष थी। इनती कम उम्र में कठिन तपस्या करते देखकर शिरडी कें लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ और कुछ समय बाद साईं बाबा एक दिन किसी से कुछ कहे बिना अचानक वहां से चले गए।

कुछ सालों के बाद चांद पाटिल नाम के एक व्यक्ति की बारात के साथ साई फिर शिरडी में पहुंचे। तभी खंडोबा मंदिर के पुजारी म्हालसापति ने साईं को देखते ही कहा ‘आओ साई’  उनके इस नाम से संबोधने के बाद से ही उन्‍हें ‘साईं बाबा’ कहा जाने लगा। शिरडी के लोग साई बाबा को पागल भी समझते थे।

लेकिन साईं बाबा कें द्वारा कियें गये चमत्‍कारों को देखकर धीरे-धीरे भक्तों की संख्या बढ़ती गयी। साईं बाबा शिरडी के केवल पांच परिवारों से रोज दिन में दो बार भिक्षा मांगते थे अपना गुजारे करते थे।

साई बाबा के चमत्कार (Miracles of Sai Baba)

साईं बाबा

साई बाबा ने अपने जीवन में कई चमत्कार ऐसे दिखाए जिससे लोगों ने इनमें भगवान का अंश महसूस किया। इन्हीं चमत्कारों ने साईं को भगवान और का अवतार बना दिया।

शिरडी गांव की एक स्‍त्री जिसका नाम लक्ष्मी था उसकी कोई संतान नहीं होने के कारण वह हमेशा दुखी र‍हती थी। एक दिन साई बाबा के पास अपनी विनती लेकर पहुंची। साई बाबा ने उसे भभूत दिया और कहा आधा तुम खा लेना और आधा अपने पति को दे देना।

लक्ष्मी ने ऐसा ही किया। और कुछ समय के बाद ही लक्ष्मी गर्भवती हुई। साई बाबा के इस चमत्कार से वह साई की भक्‍ती में लीन हो गई। जहां भी जाती साईं बाबा के गुणगाती। इसके बाद साईं बाबा का विरोध करने वाले व्‍‍यक्ति ने लक्ष्मी के गर्भ को नष्ट करने के लिए दवाई दे दी।

इससे लक्ष्मी के पेट में दर्द होने लगा। लक्ष्मी साई बाबा के पास पहुंच कर विनती करने लगी। साई बाबा ने लक्ष्मी को उदी खाने के लिए दिया। उदी खाते ही लक्ष्मी का पेट दर्द बंद हो गया और लक्ष्मी को सही समय पर संतान सुख प्राप्त हुआ। ऐसे ही लाखों चमत्‍कार साई बाबा ने किए हैं।

साईं बाबा पूजन विधि (Sai Baba Worship Method)

  • साई बाबा की पुण्यतिथि के दिन प्रात: जल्‍दी स्‍नान आदि से निवृत्त होकर पीले रगं के वस्‍त्र धारण करना चाहिए।
  • इसके बाद साईं बाबा की प्रतिमा के सामने ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
  • इसके बाद शाम के समय साईं बाबा की प्रतिमा स्‍थापित कर गंगाजल छिड़ कें प्रतिमा पर पीला कपड़ा चढ़ाएं।
  • साई बाबा पर पुष्प, रोली और अक्षत अर्पित करें।
  • धूप, घी से साई बाबा की आरती करें।
  • उसके बाद पीले रंग के फूल अर्पित करें और अक्षत व पीले फूल हाथ में रखकर कथा सुनें।
  • साईं बाबा को पीली मिठाई का भोग लगाएं।
  • फिर सभी प्रसाद बांट दें। अपने सार्म्थय के अनुसार दान भी दें।

नोट: इस पोस्‍ट मे दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्‍यताओं और  जानकारियों पर आधारित हैं www.narmadanchal.com विश्वसनीयता की पुष्‍टी नहीं करता हैं। किसी भी जानकारी और मान्‍यताओं को मानने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

CATEGORIES
Share This
error: Content is protected !!