नर्मदापुरम। मां नर्मदा सहित सभी पवित्र नदियों का जीवन बचाने तथा प्रकृति, पर्यावरण और गौवंश के संरक्षण संवर्धन के लिए पिछले तीन वर्षों से निराहार महाव्रत करने वाले अवधूत महायोगी श्री समर्थ सद्गुरु दादागुरु की निराहार निर्जला नर्मदा सेवा परिक्रमा का प्रवेश नर्मदापुरम नगर में 24 मार्च, 2024 रविवार को हो रहा है। वे यहां बीटीआई रोड पर स्थिति दादा की कुटिया में दो दिन बितायेंगे और अपनी जमात के साथ होली पर्व नर्मदापुरम में ही मनायेंगे।
आज यहां मां कर्मा धर्मशाला में उनके अनुयायियों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर उनके दो दिन के कार्यक्रम का ब्यौरा दिया। दादा गुरु 24 मार्च को पिपरिया से जिले में प्रवेश करेंगे। इससे पहले उन्होंने निराहार नर्मदा परिक्रमा की थी, लेकिन इस बार वे निर्जल कर रहे हैं और केवल हवा पर आश्रित रहकर परिक्रमा कर रहे हैं। आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजेश्वर प्रसाद मिश्र, नरेंद्र सिंह सोलंकी, संजय रिछारिया, हरिकृष्ण नायक, दीपक पंवार, संजय शैलेट, श्रीमती डॉक्टर स्मिता रिछारिया, श्रीमती संगीता सोलंकी, श्रीमती योगिता शैलेट, पीयूष मिश्रा, विवेक शर्मा, ने प्रेस वार्ता में नर्मदा मिशन संस्थापक श्री दादा गुरु के नर्मदापुरम आगमन की जानकारी दी और उनकी परिक्रमा का उद्देश्य भी बताया। उन्होंने बताया कि दादा गुरु नर्मदा सहित सभी पवित्र नदियों के साथ साथ मिट्टी, पेड़, पहाड़ों, या संपूर्ण प्रकृति के संरक्षण संवर्धन के लिए सामाजिक जागरुकता का उद्देश्य लेकर इस मिशन में लगे हैं।
इस दौरान नर्मदापुरम में होने वाले दो दिवसीय कार्यक्रम में नगर के प्रकृतिप्रेमियों, मां नर्मदा के भक्तों और मीडिया को भी दादा कुटी पर आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा कि हम किसी सरकार, शासन या समाज पर कोई दबाव नहीं बना रहे हैं कि बल्कि हमारा मानना है कि बिना सामाजिक जागरुकता और सहयोग के कुछ भी संभव नहीं है। सामाजिक जागरुकता के साथ प्रत्येक मानव का कर्तव्य है कि इस मिशन में सहयोग करे ताकि हमारी जीवनदायिनी मां नर्मदा स्वच्छ, निर्मल हो और प्रकृति दूषित होने से बचे, पर्यावरण शुद्धता के लिए हम काम कर रहे हैं। दादा गुरु ने अपना सर्वस्व धर्म, धरा, धेनु मां नर्मदा और प्रकृति संरक्षण सम्वर्धन में न्यौछावर कर दिया है।
उन्होंने न कहीं मठ या आश्रम बनाया है, ना ही कभी कोई संचय किया है। वे तो सतत नर्मदा पथ पर गतिशील रहकर सेवा, साधना और संरक्षण संवर्धन में अपना जीवन समर्पित किए हुए हैं और ज्ञान विज्ञान को चुनौती देते हुए पिछले तीन वर्षों से सिर्फ नर्मदाजल ग्रहण कर मां नर्मदा की जीवंतता और सत्यता को देश दुनिया के सामने प्रकट कर चुके हैं। निराहार महाव्रत के दौरान ही दादागुरु ने अनेकों यात्राओं के अतिरिक्त पिछले वर्ष सिर्फ नर्मदा जल ग्रहण कर 3200 किमी की मां नर्मदा की पैदल परिक्रमा का प्रथम चरण पूर्ण किया था। वर्तमान में वे निराहार निर्जला रहते हुए सिर्फ वायु पर मां नर्मदा की द्वितीय चरण की पैदल परिक्रमा में हैं।