सीताहरण का मार्मिक प्रसंग ने नम की भक्तों की आंखें

सीताहरण का मार्मिक प्रसंग ने नम की भक्तों की आंखें

होशंगाबाद। नगर में रामलीला दशहरा उत्सव (Ramlila Dussehra festival) के अंतर्गत चल रहे रामलीला मंचन में सीता हरण के प्रसंग ने भक्तों की आंखें नम कर दीं। स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत रामलीला मंचन में अत्यंत कसावट के चलते भक्त बंधे रहते हैं। बीती रात श्रीराम वनवास के दौरान की घटनाओं के अलावा सीताहरण का मार्मिक मंचन किया गया।
वनवास के दौरान श्री सीताराम जी लक्ष्मण के साथ पंचवटी में निवास कर रहे होते हैं, तभी वहां रावण की बहन शूर्पणनखा पहुंचती है। श्री राम के आदेश से लक्ष्मण जी शूर्पणनखा की नाक काट देते हैं। वह इसकी सूचना खर और दूषण को देती है। श्री राम जी खर दूषण का वध कर देते हैं, इसके बाद शूर्पणखा अपने भाई रावण के पास जाकर उसे प्रसंग की सूचना देती है। रावण मारीच को स्वर्ण मृग बनाकर पंचवटी भेजता है। स्वर्ण मृग देखकर सीता जी अपने स्वामी श्री राम को उसका वध करने का आग्रह करती हैं। श्री राम जी मायावी स्वर्ण म्रग का पीछा कर उसे एक ही वहां से धराशाई कर देते हैं। मारीच मरते वक्त हे लक्ष्मण चिल्लाता है। उसे सुन कर सीता जी के आदेश से पंचवटी की सीमा रेखा खींच कर लक्ष्मणजी प्रभु श्रीराम की सहायता के लिए जाते हैं। उसी वक्त रावण साधु के वेष में सीता जी का हरण कर लेता है। तभी आकाश में उड़ते समय रावण का गीधराज जटायु से युद्ध होता है, रावण जटायु का अपनी तलवार से एक पंख काट देता है।
श्रीरामजी जब सीता जी को खोजते हुए आते हैं तब वह सीता जी का प्रसंग सुनाते हैं प्रभु श्रीराम जी जटायु को अबिरल भक्ति प्रदान करते हैं। लीला में प्रद्युम्न दुबे ने राम, अनिकेत दुबे ने लक्ष्मण, अक्षय मिश्रा ने सीता, अरुण तिवारी ने शूर्पणनखा, दीपेश व्यास ने खर दूषण और पुनीत पाठक, मनोज दुबे ने ऋषि मुनि की भूमिका निभाई।

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