इटारसी। शुक्रवार 08 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा अराधना की जाएगी। मान्यता है कि भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए मां पार्वती ने कई हजार वर्षों तक ब्रह्मचारी रहकर घोर तपस्या की थी। उनकी इस कठिन तपस्या के कारण ही उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ गया। मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप देवी मां इस रूप में श्वेत वस्त्र पहनती हैं, साथ ही उनके दाएं हाथ में जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है। देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा से कुंडली के बुरे ग्रहों की दशा सुधारने के साथ ही सभी के अच्छे दिनों की शुरूआत होती है। इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि देवी मां के इस स्वरूप की पूजा से भगवान महादेव भी प्रसन्न होते हैं और भक्त को मनचाहा वरदान देते हैं।
उपासना का महत्व
ज्योतिषाचार्य के अनुसार नवरात्रि के द्वितीया दिवस को भक्त मां ब्रह्मचारिणी के श्री चरणों में अपने मन-मस्तिष्क को एकाग्रचित करके स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित करते हैं और देवी मां के मंत्रों का जाप कर मनचाही इच्छा पूरी होने का वरदान प्राप्त करते हैं। मां ब्रह्मचारिणी के संबंध में मान्यता है कि वे अपने भक्तों की हर इच्छा को पूरी करती हैं। दूवी मां के इस रूप को चीनी का भोग लगता है, साथ ही इस दिन दान में ब्राह्मण को भी चीनी ही दी जाती है।
यह पाठ करने से होगा फायदा
नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ सभी रोगों से बचाने के साथ ही देगा विशेष फल नवरात्र की द्वितीया पर मां ब्रह्मचारिणी पूजा के तहत सुबह स्नानादि के पश्चात साफ कपड़े पहनने के पश्चात उनकी तस्वीर या प्रतिमा के सामने पुष्प, दीपक, नैवेद्यं आदि अर्पण कर, आसन पर बैठने के पश्चात मंत्र (दधानां करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डल। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।) का कम से कम 108 बार जाप करें।