झरोखा : शिवराज विदिशा से लोकसभा प्रत्याशी – निष्ठा और विनय शीलता का पुरस्कार

Post by: Manju Thakur

Jharokha: Life is burning in DJ and firecrackers
Bachpan AHPS Itarsi

पंकज पटेरिया –
कल 4 दिन पहले 28 फरवरी की खुशनुमा शाम राजधानी के एमपी नगर इलाके में स्थित एक रेस्टोरेंट में अपने परिवार के साथ एक प्रसंग में भोजन करने गया था। हम लोग स्टाल से कुछ खरीद रहे थे। तभी नजर पड़ी, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जा रहे हैं। मैं तुरंत उनके पास पहुंचा और कहा भईया नर्मदे हर। सहजता सरलता और स्नेह का निश्चल निर्झर उनके मुस्कुराते चेहरे से झरने लगा। उत्तर दिया नर्मदे हर, कैसे हो पंकज जी। इस शिष्टाचार के बाद मेरा उत्तर सुन, वे आगे चले गए मैं अपनी दिशा में। पार्टी के प्रति निष्ठा , समर्पण, सौम्य स्वभाव,और विनम्र शीलता शिवराज जी के ऐसे आभूषण जिसके बल पर वे इतने लोकप्रिय है। विदिशा लोकसभा प्रत्याशी के रूप में उनकी घोषणा के बाद खुशी की जबरदस्त लहर सब तरफ छा गई। पूरे प्रदेश मे जगह भारी खुशी व्यक्त की जा रही है। तो उनके क्षेत्र में अद्भुत हर्ष उत्साह का माहौल है। 8 मार्च 19 59 में पुण्य सलिला मां नर्मदा जी की गोद में बसे छोटे से गांव जेत में एक साधारण किसान परिवार में प्रेम सिंह जी चौहान और श्रीमती सुंदर भाई के यहां शिवराज जी का जन्म हुआ था उनकी शिक्षा क्षेत्र की प्राइमरी स्कूल के,बाद भोपाल के मॉडल स्कूल में हुई यहीं से कॉलेज स्नातकोत्तर उपाधि दर्शनशास्त्र प्राप्त की। कुल जमा १३ वर्ष किशोर आयु में उनके सीने में धड़कते राष्ट्र प्रेम ने उन्हें आरएसएस का अनुशासित स्वयंसेवक बना दिया। और उनका राजनीतिक सफर एबीव्हीपी से शुरू हुआ। वे विभिन्न पदों पर रहते हुए भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।
पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा अनुशासन और सदा चरैवेति चरैवेति का मंत्र माथे पर रखने की धुन से पार्टी ने उन्हें बुधनी विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया। यह चुनाव उन्होंने लोगों से एक वोट एक नोट मांग कर भारी मतों से जीता। इसके बाद मां नर्मदा की कृपा की कृपा से वे आगे ही बढ़ते रहे सांसद बने। और फिर विधानसभा का चुनाव जीता, और चार बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। अपने शानदार कार्यकाल में श्री चौहान ने मध्यप्रदेश के विकास में कई सिंदूरी आयाम उद्घाटित किये। गांव की बेटी योजना, जननी सुरक्षा जननी प्रसव, उषा किरण लाडो अभियान लाडली बहन भांजियों के लिए शुरू की गई योजना उन्हें के चलते वे मामा रूप में चतुर्थ लोकप्रिय हो गए। इधर यह जिक्र बेमानी नहीं कि प्रदेश में जब परिवर्तन हुआ तो बहन, भांजियां फूट फूट कर रो पड़ी थी। लेकिन रितु सह व्यक्तित्व शिवराज सिंह चौहान ने कभी संतुलन नहीं खोया। और पार्टी के काम पर अग्रसर रहे। सदा पार्टी उनके लिए प्रमुख रही है और उसका हर आदेश उन्होंने माथे पर रखा है। उसका ही परिणाम है उन्हें मिला है यह पुरस्कार। अपना एक शेर यहां कहना उपयुक्त लगता है –

वह यह एक काम , सुबह शाम करता है।
खुद होकर छोटे बड़े से राम-राम करता है।


नर्मदे हर।

pankaj pateriya edited

पंकज पटेरिया
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार

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