ज्योर्तिलिंग के पार्थिव स्वरूप के पूजन एवं रुद्राभिषेक के साथ समापन

Post by: Poonam Soni

इटारसी। श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर लक्कड़गंज (Shree Durga Navagraha Mandir Lakarganj) में श्री धृष्णेश्वर ज्योर्तिलिंग के पूजन एवं रूद्राभिषेक के साथ एक माह से चल रहे पार्थिव ज्योर्तिलिंग पूजन एवं रूद्राभिषेक का समापन हो गया।
भगवान शिव को प्रसन्न करने 25 जुलाई से भगवान शिव का पूजन एवं रूद्राभिषेक मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे, आचार्य पं. सत्येन्द्र पांडे एवं पं. पीयूष पांडे के द्वारा प्रतिदिन पूजन एवं रू्रदाभिषेक कराया जा रहा था। समापन समारोह के अवसर पर भगवान धृष्णेश्वर ज्योर्तिलिंग की महिमा भक्तो को बताई गई।
श्री धृष्णेश्वर ज्योर्तिलिंग की महिमा और इतिहास बताते हुए पं. विनोद दुबे ने कहा कि इस ज्योर्तिलिंग के दर्शन बिना 12 ज्योर्तिलिंग की यात्रा अधूरी मानी जाती है इसलिए यात्री यहां अवश्य आते है।
महाराष्ट्र के औरंगाबाद से पश्चिम की ओर 30 किलोमीटर दूरी पर वेरूल गांव के समीप शिवालय नाम के तीर्थ स्थान पर धृष्णेश्वर दिव्य ज्योर्तिलिंग है। यहां पर कालांतर में नाग पूजक आदिवासियों की बस्ती थी। नाग जमीन में जिस स्थान पर रहते है उसी स्थान को बाबी पहले है। समय चलते यह नाम वारूल और फिर वेरूल हो गया।
समापन के अवसर पर श्रद्धालुओं ने दूध, दही और पंचामृत स्नान से धृष्णेश्वर ज्योर्तिलिंग औरज जलहरी को ढांक दिया। एक माह तक चलने वाले शिव पूजन एवं रूद्राभिषेक का समापन हवन पूजन के साथ हुआ। आरती पश्चात प्रसाद वितरण किया गया आयोजन में पं. सत्येंद्र पांडे, पं. पीयूष पांडे ने रूद्राष्टक, नर्मदाष्टक का सस्वर वाचन कर पूर्ण सहयोग दिया। यजमान के रूप में सुनील दुबे शिक्षक, श्रीमती किरण दुबे, आदित्य दुबे के साथ ही अमित मौर्य, दीपमाला मोर्य, एवं संकल्प मौर्य ने रुद्राभिषेक किया तथा विश्राम दिवस के हवन में आहुतियां दी। मंदिर समिति के अध्यक्ष प्रमोद पगारे ने इस अवसर पर सभी धर्म प्रेमी सज्जनों एवं प्रथम पक्ष के आचार्य पंडित अतुल कृष्ण मिश्र सहित द्वितीय चरण के मुख्य आचार्य पंडित विनोद दुबे आचार्य पंडित सत्येंद्र पांडेय, आचार्य पंडित पीयूष पांडेय, एवं श्रद्धालुओं के प्रति आभार व्यक्त किया और दो बालक नैतिक अग्रवाल ,गोपाल नामदेव ने जो सहयोग किया उसके लिए धन्यवाद दिया।

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