
बंगाली कालोनी में हो रहा श्री हरिनाम संकीर्तन, भजनों पर झूम रहे श्रद्धालु
संत चैतन्य महाप्रभु की परंपरा का निर्वाहन करते हैं कृष्णभक्त
इटारसी। बंगाली कालोनी में 31 मार्च से 2 अप्रैल तक श्री हरिनाम संकीर्तन का आयोजन किया जा रहा है। लगातार 48 घंटे तक कृष्ण भक्त भजन गाकर जमकर नृत्य करते हैं, हाथ में वाद्ययंत्र और हारमोनियम लेकर भजन किए जाते हैं। इस भजन परंपरा की शुरूआत संत चैतन्य महाप्रभु ने की थी। महाप्रभु का जन्म सन 1486 में बंगाल में हुआ, मात्र 48 वर्ष की आयु में उनका निर्वाण हुआ।
चैतन्य महाप्रभु अविभाजित, अखंड बंगाल के सबसे महान संत रहे, उन्होंने भक्ति मार्ग से भगवान कृष्ण को अनुभूत किया, प्रभु को अपनी आत्मा और अवचेतन में समाहित किया। बचपन में उन्हें विश्वभंर मिश्र, गोर सुंदर, गोर हरी और निमाई के नाम से जाना गया, उन्हें भगवान कृष्ण का अवतार भी माना जाता है।
24 वर्ष की आयु में केशव भारती से सन्यास की दीक्षा वृंदावन में ली गई। इसी परंपरा का निर्वाहन करते हुए हर साल बंगाली कालोनी में संकीर्तन किया जाता है, यह भक्ति मार्ग की ऐसी अवधारणा है जिसमें आंखे बंद कर कृष्ण पद गाते हुए ढोलक, मृदंग, झांझ और मंजीरा बजाकर प्रभु की भक्ति की जाती है। वैष्णव संप्रदाय के सर्वोच्च संत चैतन्य महाप्रभु के बारे में कहा जाता है कि विश्व में जितने भी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय भक्त वैष्णव सप्रदाय से जुड़े, वे कृष्ण आराधना से जुड़े संस्थान है, सभी के प्रेरणा स्रोत और प्रेरणा पुंज चैतन्य महाप्रभु रहे। चैतन्य महाप्रभु ने कृष्ण भक्ति में लीन रहते हुए जातिप्रथा-वर्ण व्यवस्था का पुरजोर विरोध किया।