आसुरी शक्तियों के नाश के लिए श्री कृष्ण ने जन्म लिया और जगत कल्याण किया

Post by: Rohit Nage

इटारसी। श्री द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर इटारसी में आयोजित ज्ञान यज्ञ में आचार्य सौरभ दुबे ने कृष्ण जन्म की कथा के माध्यम से भगवान के नाम की महिमा बताई और कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को भगवान के नाम से ही जुडऩा चाहिए। मुख्य यजमान नीतू हेमंत बडग़ोती ने प्रारंभ में पूजा अर्चना की।

आचार्य दुबे ने कहा कि भगवान का नाम कैसे भी लिया जाये हर रूप में कल्याणकारी होता है। आचार्य दुबे ने गज एवं ग्राह की कथा का विस्तृत वर्णन करते हुए बताया कि गज ही जीव है और ग्राह ही काल है। सरोवर ही संसार है। जीवन जब सरोवर रूपी संसार में अत्यधिक आकर्षित हो जाता है तब ग्राह रूपी काल जीव रूपी हाथी का पैर पकड़ता है और जीव अपनी हर प्रकार की शक्ति मृत्यु से बचने के लिए लगाता है और जब जीव हर प्रकार से हार जाता है तब जीव अंत में भगवान को याद करता है। उसी समय भगवान अपने भक्त का कष्ट हरण करने के लिए हरि अवतार धारण करते हैं।

सप्तम स्कन्ध की कथा में आचार्य दुबे ने भक्त प्रहलाद की ही कथा का वर्णन किया। भक्ति का लाभ बताते कहा कि इस प्रकार की भक्ति में मनुष्य के अंदर अगर भक्ति आ जाये तो प्राणी का कल्याण हो जायेगा। भगवान के जन्म पर बोलते हुए आचार्य ने भक्तों के मध्य पहले श्री राम जन्म एवम अंत मे भगवान श्री कृष्ण जन्म की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि जब जब अधर्म भरता है तब तब प्रभु अवतार लेते हैं। आसुरी शक्तियों के नाश के लिए भगवान को आना पड़ता है। द्वापर में कंस के आतंक से मुक्ति के लिए प्रभु ने जन्म लिया एवं ग्वाल वालों को सुरक्षित किया।

भगवान कृष्ण के जन्म के समय की सजीव झांकी बनाई, मक्खन दूध एवं घी मिश्री का प्रसाद वितरण किया। बच्चों को खिलौने वितरित किए गए। कृष्ण जन्म के समय बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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