इटारसी। ठाकुर श्री द्वारिकाधीश मंदिर तुलसी चौक परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस प्रह्लाद की भक्ति, नरसिंह भगवान का अवतार, हिरण्यकश्यप का उद्धार एवं एक मन्वंतर में ग्रह से गज की रक्षा, एक मन्वंतर में समुद्र मंथन की कथा, सूर्यवंश का वर्णन संक्षेप में बताया गया। वहीं राम कथा एवं चंद्र वंश का वर्णन एवं भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्सव धूमधाम से मनाया गया।
आचार्य पं. सुमितानंद ने कहाकि भगवान ने बराह रूप में राक्षस हिरण्याक्ष का वध करने के बाद हिरण कश्यप के बढ़ रहे आतंक की समाप्ति एवं भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए नरसिंह का रूप धारण किया एवं हिरण कश्यप का वध किया। आचार्य ने कहा कि एक राक्षस के घर पर भक्तों का जन्म हुआ जिसे प्रहलाद कहा गया। प्रहलाद को उसके पिता हिरण कश्यप में भगवान की भक्ति करने पर बार-बार रोका परंतु भक्त प्रहलाद ने हिरण कश्यप की कभी आराधना नहीं की और वह सदैव अपने हरि को ही भजता रहता था।
आचार्य ने कहा कि 8 दिन प्रहलाद के पिता ने प्रह्लाद से पूछा कि बता तेरा भगवान कहां है, प्रहलाद ने कहा कण-कण में है। तब हिरण कश्यप ने कहा इस खंभे में है? प्रहलाद में हां कहा, जैसे ही प्रह्लाद ने कहा हिरण कश्यप ने खंबे पर गदा से प्रहार किया। खंबे में से भगवान नरसिंह प्रकट हुए और उन्होंने हिरण्यकश्यप का वध करके प्रहलाद की रक्षा की। आचार्य ने कहा कि सूर्यवंश में भगवान श्री रामचंद्र के रूप में प्रकट हुए राजा दशरथ के बड़े पुत्र होने के नाते जब राज का समय आया। उन्हें 14 वर्ष का वनवास मिला पिता की मृत्यु हुई और 14 वर्ष का वनवास सीता हरण रावण वध के पश्चात प्रभु श्री राम अयोध्या लौटे और उन्हें राजतिलक किया गया।
आचार्य ने कहा कि चंद्रवंश में भगवान में मथुरा में कंस के कारागार में जन्म लिया एवं जन्म के बाद ही वह गोकुल चले गए उनका बाल निकाल अधिकांश समय नंदलाला और श्रीमती यशोदा के यहां बीता। आचार्य ने कहा कि वह मथुरा भी आए, बहुत सी बाल लीलाएं की कंस ने उनके मारने के सारे प्रयास किए, लेकिन सभी असफल हुए। भगवान श्री कृष्ण ने अंत में कंस का वध किया मथुरा वासियों को कंस के आतंक से मुक्ति दिलाई। ठाकुर श्री द्वारकाधीश मंदिर परिसर में कृष्ण जन्म का महोत्सव पूरे धार्मिक माहौल में मनाया गया।
कार्यक्रम में दूध, दही, घी, शक्कर, माखन मिश्री एवं बच्चों के खिलौने वितरित किए। कथा के मुख्य यजमान श्रीमती निर्मला गौरी शंकर एवं राजेश अनिता सोनिया ने श्रीमद् भागवत कथा का पूजन अर्चन कर आचार्य श्री का पुष्पा से स्वागत किया।