श्री शतचंडी महायज्ञ से एक नहीं अनेक का कल्याण होता है

Rohit Nage

इटारसी। भारतीय संस्कृति में श्री शतचंडी महायज्ञ देवी शक्ति का बड़ा शुभ और बड़ा स्वरूप माना गया है। इसके विधि पूर्वक पूर्ण होने पर एक नहीं अनेक जन का कल्याण होता है और उनके कार्यों की सिद्धि पूर्ण होती है। जिस स्थान पर यह धार्मिक अनुष्ठान होता है, वह पूरा नगर या पूरा ग्राम सुख शांति और वैभव से परिपूर्ण हो जाता है।

उक्त उद्गार संत श्री श्री 1008 महावीर दास ब्रह्मचारी ने ग्राम सोनतलाई में व्यक्त किए। यहां श्री शतचंडी महायज्ञ एवं श्री राम कथा प्रवचन समारोह 21 वर्ष में चल रहे हंै। रविवार को संत श्री महावीर दास के साथ ही प्रख्यात श्रीराम कथा प्रवक्ता आचार्य अखिलेश उपाध्याय, मानस मर्मज्ञ कंचन दुबे एवं राघवेंद्र रामायणी ने भी श्री शतचंडी महायज्ञ की व्याख्या करते हुए श्रोताओं के समक्ष प्रतिपादित किया और कहा कि जगत जननी जगदंबे को प्रसन्न करने का सबसे महत्वपूर्ण और मुख्य उपासना श्री शतचंडी महायज्ञ ही है।

हवन कुंड में जैसे-जैसे श्रद्धा रूपी आहुतियां विधि विधान से छोड़ी जाती है वैसे वैसे मां अंबे प्रसन्न होते जाती हैं और पूर्णाहुति के साथ यज्ञ संपन्न होते ही देवी पूर्णत: प्रसन्न भाव से अपनी अनु कृपा अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिपादित करती है। देवी की अप्रत्यक्ष अनुकृपा से समस्त यज्ञकर्ताओं के साथ ही इसमें भाग लेने वाले परिक्रमा करने वाले एवं प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सहयोग प्रदान करने वाले समस्त जनमानस के साथ ही समस्त क्षेत्रवासियों का कल्याण होता है। जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण यह धार्मिक ग्राम सोनतलाई है, जो दो दशक पूर्व तक सूखे की स्थिति से परेशान रहता था, लेकिन मां कात्यानी देवी की प्रतिमा स्थापना एवं श्री शतचंडी महायज्ञ के नियमित होने से यह गांव धन्य धान्य से परिपूर्ण हो गया है। यज्ञ के प्रारंभ में सभी प्रवचनकर्ता औं एवं यज्ञ आचार्य का स्वागत संयोजक पं. राजीव दीवान ने किया।

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