इटारसी। केसलाखुर्द में आयोजित श्रीमद्भागवत सत्संग सप्ताह का आज विश्राम हो गया। इस अवसर पर पंडित भगवती प्रसाद तिवारी ने कहा कि परमात्मा के बनाए संपूर्ण जगत में प्रत्येक जीवात्मा सुख शांति आनंद को प्राप्त करना चाहता है।
यह शरीर हम सभी का हर पल मर रहा है, क्यों न उसकी पहचान करें, जो कभी नहीं मरता है। उसे ही आत्मानुभूति, आत्मानंद, आत्मस्वरुप, आत्मशक्ति, आत्मशांति के नाम से जाना जाता है। आज श्रीमद्भागवत कथा में स्यमंतक मणी, जरासंध वध, युधिष्ठिर राजा द्वारा राजसूय यज्ञ, शिशुपाल वध, सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष। कथा प्रसंग आध्यत्मिकता के साथ सुनाया।
श्री तिवारी ने कहा कि सर्व प्रथम मनुष्य मात्र को यह जानना जरूरी है कि जीवन में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण काम क्या है। वेद, शास्त्र, उपनिषदों में ईश्वर प्राप्ति को सर्वोपरी बताया है। कथा, सत्संग में भगवान जी के महत्व को समझाया जाता है। ऐसा जिस किसी का भी महत्व जानने के बाद फिर तो कठिन परिस्थितियों में भी कोशिश करके हम सब उन चीजों को हासिल कर ही लेते हैं। हो सकता है संसार में कोशिश करने पर भी मनुष्य को कोई चीज, वस्तु, पद, पैसा, परिवार चाहने पर भी नहीं मिले, लेकिन जिन्हें सच्चा संत सद्गुरु मिल जाए और ईश्वर को महत्वपूर्ण मानकर सच्ची भक्ति साधना करे तो ईश्वर की प्राप्ति होती है।
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श्रीमद् भागवत कथा : प्रत्येक जीवात्मा सुख, शांति, आनंद चाहता


Rohit Nage
Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.
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