मदन शर्मा, नर्मदापुरम। बारिश का मौसम आते ही जिले में सर्पदंश की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। पिछले 6 दिनों में दो लोगों की मौत सर्पदंश की वजह से हो चुकी हैं। हालांकि प्रतिवर्ष बारिश के दौरान ऐसी घटनाएं बढ़ती हैं। ऐसे में किसी को समय पर उपचार नहीं मिल पाता है तो वह झाड-फूक के चक्कर में अपनी जान भी गवा बैठता है।
सर्प पकड़ने वाले अभिजीत यादव ने बताया की जिले में मुख्य तौर पर तीन तरह के सांपों के डसने की घटनाएं होती हैं। जिसमें पहला करैत और दूसरा कोबरा व तीसरा रसेल वाइपर हैं।
करैत साइलेंट किलर होता है इसके डसने की जगह ऐसी दिखती है कि जैसे किसी मच्छर ने काटा हो। मरीज को समझ ही नहीं आता है कि वह स्नैक बाईट का शिकार हुआ है। इसका जहर धीरे धीरे शरीर में फैलता है और मरीज कि मौत हो जाती है।
इसका मतलब यह है कि शरीर में जहर धीरे धीरे फैलने लगता कुछ मरीजों को पेट में मरोड़ भी पड़ती है। वहीं कोबरा डसले तो उस जगह पर बहुत अधिक सूजन होती है, घाव की तरह दिखने लगता है। स्नैक बाईट के शिकार व्यक्ति को जलन, खून आना, चक्कर आना कि शिकायत होती हैं। वहीं रसेल वाइपर के मरीज कम सामने आते हैं।
ऐसे में घटना के शिकार व्यक्ति को तत्काल नजदीकी अस्पताल ले जाना चाहिए। ताकि उसकी जान बचाई जा सके। वहीं उन्होंने बताया की सर्पदंश की घटना के बाद किसी झाड फूक वाले के चक्कर में नहीं फसना चाहिए। स्नैक बाईट के शिकार व्यक्ति को घाव के साबुन या डिटर्जेन्ट से धोते रहना चाहिए जिससे जहर कम होता हैं।
जिले में हो चुकी दो घटनाएं
24 जून को ग्राम सोमूखेड़ा निवासी पलक पिता विनोद धुर्वे कि मौत स्नैक बाईट से हुई है। वहीं माखननगर के आरी निवासी सालक राम ने भी स्नैक बाईट के बाद दम तोड़ा हैं।
ऐसे करें लक्षणों की पहचान
बारिश के दौरान जहरीले सर्पदंश कि घटना बढ़ जाती हैं। ऐसे सर्पदंश के शिकार व्यक्ति कि शरीर में कई तरह के लक्षण पैदा हो सकते हैं। जैसे सर्पदंश वाली जगह पर दर्द और सूजन, ऐंठन, उल्टी, अकड़न या कंपकंपी, एलर्जी, त्वचा के रंग में बदलाव, दस्त, बुखार, पेट दर्द, सिरदर्द, जी मिचलाना, जलन, मांसपेशियों की कमजोरी, प्यास लगना, अंगों के आसपास के हिस्से का सुन्न पड़ना आदि शामिल है।
ऐसा करने से बचें
• बाबा, झांड-फूंक के चक्कर में न पड़ें। मरीज को तत्काल अस्पताल ले जायें।
• सर्पदंश के स्थान को बिल्कुल न हिलाएं, मरीज को स्थिर रखें।
• घाव से खून के रिसाव को होने दें, रिसाव रोकने बीटाडीन, साबुन, डिटर्जेन्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं।
विशेषज्ञ की सलाह
ज़िला अस्पताल के चिकित्सक संजय पुरोहित ने बताया कि स्नैक बाइट के दौरान मरीज को घबराना नहीं चाहिए। क्योंकि हर सांप जहरीला नहीं होता हैं। स्नैक बाइट के बाद समय की अहमियत को मरीज व परिजन समझें। स्नैक बाइट का शिकार व्यक्ति ठीक से सांस नहीं ले पाता हैं और अन्य लक्षण उसमें दिखाई देते हैं।
ऐसे तत्काल उसे नजदीकी अस्पताल लेना चाहिए। स्नैक बाइट से संबंधित इंजेक्शन लगाए जाते हैं। संबंधित को डॉक्टर के भरोसे छोड़ देना चाहिए ताकि वह स्नैक बाइट के शिकार का उपचार करें। मरीज को झाड़ फूक के चक्कर में नहीं फंसना चाहिए। अब तो शासकीय गाइड लाइन भी आ गई हैं। स्नैक बाइट के घायल को तत्काल बचाने के लिए उसे इंजेक्शन लगाए जाए।