शरद पूर्णिमा: समसामयिक विषयों पर पढ़ी गई कविताएं
Poetry seminar organized

शरद पूर्णिमा: समसामयिक विषयों पर पढ़ी गई कविताएं

काव्य गोष्ठी का आयोजन

सोहागपुर/राजेश शुक्ला। साहित्य परिषद के तत्वाधान में बुधवार शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) के अवसर पर स्थानीय परशुराम भवन में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें स्थानीय कवियों ने कविता पाठ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता बुंदेली गीतकर पंडित राजेंद्र सहारिया ने की। काव्य गोष्ठी में स्थानीय कवियों ने समसामयिक विषयों महंगाई, लखीमपुर खीरी, सामाजिक चिंतन पर अपनी कविताएं प्रस्तुत की। इस कवि गोष्ठी में पंडित राजेंद्र सहरिया के साथ ही प्रबुद्ध दुबे जलज शर्मा, सौरव सोनी, जीवन दुबे संजय दीक्षित, अमित बिल्लोरे, राजेश शुक्ला, श्वेतल दुबे आदि ने रचनाएं पढ़ी।

ये बोले कविगण

मोरे छूटे न हरदी के दाग,
सजन भए बैरागी ।
पंडित राजेंद्र सहारिया

पेट्रोल सौ के पार हो गओ
डीजल रिश्तेदार हो गओ।
कवि प्रबुद्ध दुबे

इस मुहब्बत के बिना दिल का गुज़ारा न हुआ
ग़म हज़ारों में मिले एक दिल हमारा न हुआ।
शायर जलज शर्मा

तुम तन को भरने आए हो, मैं मन को रीतने आया हूं,
तुम मुझे हराने आए हो ना?, मैं तुम्हें जीतने आया हूं।
अमित बिल्लोरे अमृत

आदमी का आदमी से बस यही नाता रहा।
इंसानियत के नाम पर बस दगा खाता रहा।।
कवि सौरभ सोनी

है सब धर्मों का समावेश ,
भारत माता का हृदय प्रदेश ।
कवि जीवन दुबे

कोई कहे इंसान मर गया , कोई कहे किसान मर गया
राजा का तो धर्म मरा है, और बजीर का ज्ञान मर गया।
मन की बातें पूछ रही हैं, देश में कब ईमान मर गया।
खीरी में जो मरा है सुन लो , लोकतंत्र का मान मर गया।
कवि राजेश शुक्ला

क्या छत पर आए हो तुम
चांदनी बन मुस्काए हो तुम।
कवि संजय दीक्षित

तू आरंभ तो कर , कामयाब होगा।
निश्चित है लक्ष्य , बेनकाब होगा।
प्रहारों की चिंता मत करना मेरे दोस्त
यह तय है अंत लाजवाब होगा।
कवि श्वेतल दुबे

 

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