शुभ कर्म का फल शुभ होता है, यह अटल सिद्धांत

शुभ कर्म का फल शुभ होता है, यह अटल सिद्धांत

ग्राम पांजरा कला में श्रीमद् भागवत सत्संग का आयोजन

इटारसी। निकटस्थ ग्राम पांजरा कला में आयोजित श्रीमद् भागवत सत्संग के पंचम दिवस की कथा में पं भगवती प्रसाद तिवारी ने बताया परमात्मा के बनाए हुए इस संपूर्ण जगत में प्रत्येक मनुष्य को सत्य, सत्संग, सुमरण, सेवा, धर्म पर पूर्ण विश्वास रखना चाहिए। शुभ कर्मों का परिणाम सदैव शुभ फलदायक ही होता है, यह अटल सिद्धांत है।
संत भक्त तिवारी ने कहा कि परमात्मा की भक्ति, पूजा-पाठ कर लेन-देन का व्यापार मत करो। निष्काम भक्ति करो। ईश्वर सब पता है किसे, कब, कितना, क्या चाहिए। कर्म, पुरूषार्थ, मेहनत करते रहो। फल तो कर्म के अनुसार अपने आप मिलता है। आलसी, प्रमादी मनुष्य को जीवन मे कभी दुख, अशांति, तनाव का सामना करना ही पड़ता है। आलसी, भाग्य भरोसे, हाथ की रेखाओं के भरोसे मत रहो, पुरूषार्थी बनो। प्रभु से मांगना बंद करो, प्रेम का संबंध जोड़ो। कभी कुछ नया पाने के लिए, वह मत खो देना जो पहले से आपके पास ही है। धर्म की सरल व्याख्या है, किसी को भी हमारे कारण कोई दु:ख न पहुंचे। भगवान की कथा, सत्संग, भक्ति प्रेम को बढ़ाते हैं। सदज्ञान में पाप, बुराई को नाश करने की शक्ति है। अज्ञानी सदा पीड़ाएं पैदा करता है। आज कथा में बालकृष्ण जी लीलाओं मे पूतना वध, वकासुर, अघासुर, कलीयनाग मानमर्दन, गोवर्धन धारण की कथा सुनाई गई।

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