पुलिस ने सुलझाई डेयरी संचालक की हत्या की गुत्थी
इटारसी। भैंसों के धंधे में पहाड़ी यादव के भाई सुशील को शामिल न करना, भैंसों के कारोबारी गोविन्द साहू को भारी पड़ गया और सुशील ने लगातार प्रयास के बावजूद गोविन्द के न मानने पर उसकी हत्या कर दी। घटना 9 जुलाई की रात की बतायी जा रही है। पुलिस का कहना है कि आरोपी ने गोविन्द की कमर पर बैठकर सीने और पेट में कई बार किये। मौके पर मौजूद नौकरों के मना करने पर उनको भी जान से मारने की धमकी देकर चुप करा दिया। इस घटना के बाद डर के कारण एक नौकर नर्मदा प्रसाद मौके से भाग निकला। उसके भागने के बाद प्रारंभिक विवेचना में उसे ही आरोपी माना जा रहा था। लेकिन, पुलिस ने वैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की तो वास्तविक मामला सामने आ गया।
ये था असल कारण
टीआई आरएस चौहान ने बताया कि सुशील यादव अपने भाई पहाड़ी यादव की मृत्यु के बाद उसके पार्टनर गोविन्द साहू पर भैंसों के धंधे में पार्टनर बनाने का दबाव बना रहा था, जिसे गोविन्द ने साफ मना कर दिया था। इसके अलावा गोविन्द साहू ने सुशील की दो भैंसे भी ट्रक में लाने से इनकार कर दिया था जिसे सुशील ने जलालत समझा और गुस्से से भरा था। आक्रोश में ही उसने गोविन्द साहू की हत्या कर दी। पुलिस ने घटना में प्रयुक्त छुरीनुमा चाकू एवं घटना के वक्त पहने कपड़े भी बरामद किये और आज उसे न्यायालय में पेश किया है।
पहले नौकर पर था संदेह
गोविन्द साहू पहाड़ी यादव के नाम पर संचालित डेयरी प्रदीप यादव डेयरी पर वर्षों से रहता था। यहीं से भैंसों का कारोबार चलता था। करीब डेढ़ माह पूर्व प्रदीप पहाड़ी यादव का कोरोना के चलते देहावसान हो गया था। उसके बाद से सुशील पर उस धंधे में शामिल करने के लिए दबाव बना रहा था। डेयरी पर दो नौकर छोटू उर्फ नर्मदा प्रसाद तथा टिल्लू यादव भी साथ में रहते थे। घटना के वक्त भी दोनों मौजूद थे। घटना होने के बाद छोटू मौके से भाग गया था। प्रारंभिक विवेचना में पुलिस को छोटू यादव निवासी भटगांव पर ही घटना का संदेह था।
गांव में बताया अत्यंत सीधा लड़का
पुलिस ने छोटू यादव की गिरफ्तारी के लिए उसके गांव में दबिश दी और वहां छोटू का पता किया तो ग्रामीणों ने बताया कि वह अत्यंत सीधा लड़का है। पूछताछ के लिए पुलिस उसे इटारसी लेकर आयी और दूसरे नौकर टिल्लू और उसको आमने-सामने बिठाकर जब कड़ाई से पूछताछ की तो दोनों ने बताया कि सुशील यादव ने ही रात करीब 12:30 बजे हनुमान मंदिर की छत से चढ़कर सीढिय़ों से होते हुए सोते वक्त गोविन्द पर वार किये। वह गोविन्द की कमर पर बैठकर लगातार चाकू से पेट, सीना, पसली, गला और चेहरा पर वार कर रहा था।
नौकरों को जान से मारने की धमकी
घटना के वक्त मौके पर मौजूद दोनों नौकरों ने सुशील को मना किया तो उनको जान से मारने की धमकी देकर चुप रहने को कहा और पिछले दरवाजे से चाकू लेकर वापस चला गया। टिल्लू ने रात 1:25 बजे घटना की जानकारी गोविन्द के परिजनों को दी। घटना के बाद एक नौकर छोटू यादव तो भाग गया था। दोनों ने डर के मारे प्रारंभिक पूछताछ में पुलिस को कोई जानकारी नहीं दी। पुलिस ने दोनों चश्मदीद गवाह के बयान और पूर्व में परिजनों एवं अन्य के बयान के आधार पर सुशील यादव को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो सुशील ने जुर्म कबूल कर लिया।
इस टीम की रही भूमिका
घटना वाले दिन प्रारंभिक जांच में तो पुलिस को छोटू उर्फ नर्मदा यादव पर संदेह था। उसकी तलाश के लिए घटना वाले दिन 9 जुलाई की रात से ही टीआई ने तीन टीमों को अलग-अलग रवाना किया था। एसपी संतोष गौर के मार्गदर्शन, एसडीओपी महेन्द्र मालवीय के निर्देशन में टीआई आरएस चौहान, एसआई विवेक यादव, एचके शुक्ला, एएसआई संजय रघुवंशी, प्रधान आरक्षक हेमंत तिवारी, युयुत्स यादव, भागवेन्द्र, भूपेश, अशोक चौहान, अविनाश, हरीश, सुनील ओझा, धमेन्द्र, केतन, दिनेश, प्रदीप, पुष्पेन्द्र भदौरिया, आकाश की सराहनीय भूमिका रही।