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झरोखा : कहीं ना कहीं कोई ना कोई होता है…
- पंकज पटेरिया : नर्मदापुरम। मां नर्मदा के चरणों में साहित्य सेवा और पत्रकारिता करते चार दशकों से ज्यादा समय व्यतीत हुआ। इस सफर में विभिन्न क्षेत्रों में लिखने का सौभाग्य मिला। पिछले ... Read More
झरोखा: उफनती नर्मदा जी जब नहीं बढ़ी, पंडित जी के बंधे कुर्ते के आगे
पंकज पटेरिया: बात इन्हीं पानी वाले बारिश के मौसम की हैं, और अतीत की एक सिसकती याद के रूप में चस्पा हैं। (और ज्यादा…) Read More
तिलक के रूप, महिमा और प्रभाव
झरोखा: पंकज पटेरिया: भारतीय संस्कृति में माथे पर तिलक लगाने की आदिकालीन परंपरा है, जो द्वापर त्रेता युग से चली आ रही है। (और ज्यादा…) Read More
स्मृति शेष: सांसे जरा धीरे चलो…नगीना
झरोखा : पंकज पटेरिया- जन जन के लोकप्रिय गीतकार भाई मगन लाल नगीना दुनिया को विदा कर गए, वे आज हमारे बीच नहीं हैं। (और ज्यादा…) Read More
कोरोना की तीसरी लहर: आप कितने बेखबर, कितने बाखबर…
झरोखा : पंकज पटेरिया - कोरोना महामारी के बेहद दर्दनाक दौर में हमने भारी दुख दर्द झेला। फिर भी ईश्वर कृपा से हम सबने अपने हौसलों को गिरने नहीं दिया, टूटने नही दिया। ... Read More
झरोखा: काल पात्र की कल कल, फिर नदी बन बही
पंकज पटेरिया। अतीत यानी कल के गर्भ में दफन टाइम कैप्सूल जिसे हिंदी में काल पात्र कहते है, की कल कल आज की सतह पर फिर नदी बन बहने लगी है। (और ज्यादा…) Read More
झरोखा: अनलॉक में जरूरी लॉकडाउन, खुली रहे आंख, कान, मुंह पर रहे ताला
पंकज पटेरिया। अंततः देश दुनिया में असंख्य जिंदगियों की बलि चढ़ जाने के बाद कोरोना की रफ्तार थम रही है, तो यह सर्वथा ईश्वर की कृपा है। (और ज्यादा…) Read More
झरोखा: जिंदगी भोर है, सूरज की तरह निकलिए
पंकज पटेरिया। बात उन दिनों की जब देश के प्रधानमंत्री श्री एच डी देवगौड़ा थे। एमपी के वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री विजय दत्त श्रीधर जी ने आंचलिक पत्रकार का राष्ट्रीय अधिवेशन पचमढ़ी में आयोजित ... Read More
झरोखा: तू जिंदा है जिंदगी की जीत पर यकीन कर
पंकज पटेरिया। हम जिंदा है हमे जिंदगी की जीत पर यकीन है। यह पुख्ता अहसास ही हमारी जीत है। (और ज्यादा…) Read More
झरोखा: बंद पैकेट में नमकीन या मीठी मौत तो नहीं!
आज की मशीनी जिदंगी की भागम भाग आवाजाही और ऊहापोह में आदमी को ठीक से भोजन कर पाने का वक्त नहीं (और ज्यादा…) Read More