Tag: Satyendra singh
साहित्य: शब्द और सत्य…
बांचा तो जाऊंगा पता नहीं कब, कौन, किस तरह बांचेगा यह उसके मन की बात है मुझे जो महसूस होता है वह लिखता जाऊंगा, लिखता ... Read More
कविता: सपने
सत्येंद्र सिंह(Satyendra singh) ऐसा लगता है अंदर भी रतौंधी आ गई है, सारे सपने धुंधले धुंधले दिखते हैं, लोगों ने जो सपने दिखाए थे उनका ... Read More