Teachers day: यह है चुटिया वाले गुरुजी जो 31 साल से निशुल्क दे रहे शिक्षा, छात्र बने देश के बड़े अफसर

Teachers day: यह है चुटिया वाले गुरुजी जो 31 साल से निशुल्क दे रहे शिक्षा, छात्र बने देश के बड़े अफसर

सातवीं कक्षा पास लकवा ग्रस्त Paralyzed किसान Farmer के पढ़ाए कई बच्चे अच्छी नौकरियों में जा चुके

हरदा। सभी को अपने बचपन में स्कूल की बातें और गुरूजी याद तो रहते ही हैं। उनका मारना, पढाना बच्चों को याद रहता है। वहीं शिक्षक भी बच्चों Children को बेहतर शिक्षा देने में पीछे नहीं है। ऐसे ही एक शिक्षक हरदा के टेमागांव निवासी एक किसान सरकारी स्कूल में बीते 31 साल से बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रहे हैं। खास बात यह है कि बचपन से लकवाग्रस्त यह किसान खुद सातवीं तक शिक्षित हैं। लेकिन मुख्य विषय हिन्दी को वे इतना बखूबी पढ़ाते हैं कि इनका सिखाया सबक बच्चे ताउम्र न भूलें।

चुटिया वाले गुरूजी के नाम से जानते है सब
गांव के बच्चों के बीच चुटिया वाले गुरुजी की छाप से पहचाने जाने वाले संतोष पिता शिवप्रसाद सोलंकी बताते हैं कि डेढ़ साल की उम्र में वे लकवा का शिकार हो गए थे। गांव के स्कूल में तीसरी कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद वे हरदा चले आए। यहां कक्षा सातवीं में पढ़ते थे उसी दौरान वे फिट आने की बीमारी का शिकार हो गए। पिता ने इकलौते बेटे संतोष को अपने पास गांव में ही रखने का निर्णय लिया और उनकी पढ़ाई छूट गई।

खाली समय का कर रहे सदउपयोग
जवान हुए तो फिट आने की बीमारी स्वतरू ही खत्म हो गई और विवाह होने पर गृहस्थी संभालने में लग गए। लकवा की वजह से बड़ा कार्य करने में अक्षम 22 एकड़ के काश्तकार संतोष सोलंकी अब यही सोचने लगे कि खाली समय का सदुपयोग कैसे किया जाए। गांव में यहां.वहां बैठेंगे तो पिता का नाम खराब होगा। लिहाजा उन दिनों सरपंच रहे अपने एक रिश्तेदार को मन की बात बताई कि वे स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं। यह बात सुनकर उन्होंने सरकारी स्कूल के प्रधानपाठक के नाम एक पत्र तैयार कर दिया कि संतोष अब से निरूशुल्क शिक्षा देंगे। 16 अगस्त 1989 से शुरू हुआ यह पुनीत कार्य अब भी जारी है। वे प्राथमिक कक्षा के बच्चों को हिन्दी विषय पढ़ाते हैं। माध्यमिक स्कूल की कक्षा में शिक्षक न होने पर वे वहां भी इसी विषय का पीरियड लेते हैं। कोराना वायरस के संक्रमण काल में फिलहाल वे मोहल्ला क्लास लगाकर बच्चों पढ़ाई करा रहे हैं।

शिक्षित बच्चे बने बड़े अफसर
शिक्षक संतोष सोलंकी बताते हैं कि उनके पढ़ाई करीब सात छात्राएं और दस छात्र शिक्षक, तहसीलदार, इंजीनियर, सेना सहित अन्य नौकरियों में हैं। जब भी वे मिलते हैं तो उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद मांगते हैं। यह क्षण संतोष के जीवन के अविस्मरणीय पलों में शुमार हैं। इसे ही वे अपनी कमाई मानते हैं। शिक्षक संतोष के मुताबिक पढ़ाने के साथ ही वे सरकारी स्कूलों के शिक्षकों से कराए जाने वाले जनगणना, वीईआर आदि सर्वे में भी हाथ बंटाते हैं। स्कूल के प्रधानपाठक शिवराज सिंह सावलेकर, शिक्षक राजेंद्र कुमार नागरे, शिक्षक गेंदालाल देवराले आदि शिक्षक सोलंकी के कार्यों से प्रभावित होकर सदा ही नमन करते हैं।

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