साधना शक्ति का महान पर्व गुप्त नवरात्रि कल से

Post by: Rohit Nage

इटारसी। मां चामुंडा दरबार भोपाल के पुजारी पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि साल में 4 नवरात्र होते हैं। इनमें चैत्र और अश्विन महीने में प्रकट नवरात्रि होती है, वहीं, माघ और आषाढ़ महीने में आने वाली नवरात्र को गुप्त माना जाता है। माघ शुक्ल पक्ष एकम बुधवार 2 फरवरी से गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ होगा। जिसका समापन महानंदा नवमी 10 फरवरी गुरूवार को होगा। हिंदू धर्म में गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। गुप्त नवरात्रि तंत्र-मंत्र को सिद्ध करने वाली मानी गई है। कहा जाता है कि गुप्त नवरात्रि में की जाने वाली पूजा से कई कष्टों से मुक्ति मिलती है। माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक महाविद्याओं को भी सिद्ध करने के लिए मां दुर्गा की उपासना करते हैं।

इन तारीखों में शादियां

फरवरी में शादियों की तारीख 4, 5, 6, 9, 10, 11, 16, 17, 18, 19, 20, 21 रहेगी।
गुप्त नवरात्रि 2022 तिथि और घट स्थापना शुभ मुहूर्त-

नवरात्रि शुरू 2 फरवरी 2022 दिन बुधवार

कलश स्थापना मुहूर्त- सुबह 06 बजे से 07 बजकर 30 मिनट लाभ।

सुबह 7: 30 से 09 तक अमृत, सुबह 10: 30 से 12 तक शुभ, दिन में 3:00 से 4: 30 तक चर, दिन 4: 30 से 6 बजे तक लाभ, रात्रि 7: 30 से 9 बजे तक शुभ, रात्रि 9:00 से 10: 30 बजे तक अमृत, रात्रि 10: 30 से 12:00 बजे तक चर।
स्थिर लग्न सुबह 07: 07 मिनिट से 08: 40 कुं भ लग्न, सुबह 11:51 से 1: 50 वृष लग्न, शाम गौधूली 6: 20 से 8: 32 सिंह लग्न।

मां दुर्गा के इन स्वरूपों की होती है पूजा-

मां कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता चित्रमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूम्रवती, माता बगलामुखी, मातंगी, कमला देवी। आज दिनांक 2-2-2022 योग 1

गुप्त नवरात्रि में प्रयोग में आने वाली सामग्री-

मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र, सिंदूर, केसर, कपूर, जौ, धूप,वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, बंदनवार आम के पत्तों का, लाल पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, जौ, वंदनवार, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, मधु, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, जावित्री, नारियल, आसन, रेत, मिट्टी, पान, लौंग, इलायची, कलश मिट्टी या पीतल का, हवन सामग्री, पूजन के लिए थाली, श्वेत वस्त्र, दूध, दही, ऋतुफल, सरसों सफेद और पीली, गंगाजल आदि।

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