मन की बुराइयों को त्याग देना ही श्रीराम के आदर्श

इटारसी। मानव जीवन में प्रत्येक व्यक्ति के मन में कुछ न कुछ अवगुण होते हैं, जिन्हें त्यागकर मन को सद्गुणों में समाहित कर प्रभु श्री राम के आदर्शों को आत्मसात कर लेने से जीवन निश्चल प्रेम की ओर अग्रसर होता है।उक्त उद्गार मथुरा की मानस मर्मज्ञ सुश्री हेमलता शास्त्री ने वृंदावन गार्डन (Hemlata Shastri at Vrindavan Garden) में व्यक्त किए। शहर के सांस्कृतिक विकास के लिए आयोजित श्री राम कथा में हेमलता शास्त्री ने श्री राम वनवास के समय सीता जी को माता अनसूया के द्वारा दिए शक्ति ज्ञान का उल्लेख करते हुए कहा कि स्त्री को पुरुष की बराबरी करने की आवश्यकता नहीं है, उसे तो अपने आप को पहचानने की आवश्यकता है।
इस विशेष प्रसंग के साथ ही सुश्री हेमलता ने केवट संवाद भरत मिलाप एवं वन में ऋषि मुनियों के यज्ञ जब तक आदि कार्यों में वादा उत्पन्न कर संत जनों की हत्या करने वाले राक्षसों को समाप्त कर देने के लिए प्रभु श्रीराम द्वारा लिए संकल्प का भी वर्णन करते हुए कहा कि श्री राम ने संसार की राक्षस रूपी बुराइयों को दूर किया था, हम अवगुण रूपी अपने मन की बुराइयों को ही दूर करने का संकल्प ले लं तो समझो हमने श्रीराम के आदर्शों को अपनाने का संकल्प ले लिया।
सीता हरण के प्रसंग से छठवें दिवस की कथा का विश्राम हुआ इस दौरान भजनों की प्रस्तुति भी हेमलता शास्त्री ने की। कथा के प्रारंभ में कार्यक्रम संयोजक जसवीर सिंह छाबड़ा में यजमान शरद गुप्ता, अशोक खंडेलवाल, किशन सेठी, मनोज सोनी एवं महिला मंडल ने प्रवचन कर्ता सुश्री हेमलता शास्त्री का स्वागत किया।