इटारसी। समीप के ग्राम तीखड़ को कभी संतरों के खुशबू के लिए जाना जाता था, आज यहां गुलाब की महक है। यहां के निवासी किसान सुधीर वर्मा ने उद्यानिकी विभाग की मदद से गुलाब की खेती करके लाखों की आय की और इससे उनका जीवन महक उठा है।
इटारसी तहसील के आदिवासी ब्लॉक केसला के ग्राम-तीखड़ निवासी, सुधीर वर्मा ने पारंपरिक खेती से अपना जीवन यापन किया है। आज अपने साहस और मेहनत के बल पर गुलाब की खेती से लाखों की आय और संपत्ति अर्जित करने में सफल हुए हैं। पहले गेहूं और सोयाबीन की खेती से शुद्ध लाभ 35,000 रुपए प्रति एकड़ था, लेकिन अब गुलाब की खेती के माध्यम से उन्होंने अपनी आय और संपत्ति में बेतहाशा वृद्धि की है।
उद्यानिकी विभाग की योजना से बदली जिंदगी
सुधीर वर्मा ने उद्यानिकी विभाग से जुड़कर विभाग द्वारा संचालित योजनाओं से प्राप्त मार्गदर्शन एवं अनुदान से फल, फूल और सब्जियों की खेती की जानकारी प्राप्त की और इसके बाद उन्हें गुलाब की खेती में रुचि पैदा हुई। इसके बाद, उन्होंने विभाग की सहायता से ‘IIHT’ नोएडा दिल्ली और सीमेप लखनऊ से प्रशिक्षण प्राप्त किया। शुरुआती दौर में 1 एकड़ में देशी गुलाब की खेती की शुरुआत की, जिसे उद्यानिकी विभाग से प्राप्त पौधों से रोपित किया।
लाखों का हो रहा शुद्ध मुनाफा
अब सुधीर वर्मा 7 एकड़ में गुलाब की खेती कर रहे हैं, जिसमें प्रति एकड़ लागत लगभग 1.30 लाख रुपये आती है और वार्षिक आय 3.80 लाख रुपये प्रति एकड़ होती है। इस प्रकार, उन्हें प्रति एकड़ 2.30 लाख से 2.50 लाख रुपये तक का शुद्ध मुनाफा मिल रहा है। उनकी गुलाब के फूलों की बिक्री इटारसी नगर के 800 परिवारों तक ‘डोर-टू-डोर’ पद्धति से हो रही है। इसके अलावा, वे व्यापारियों को भी फूलों की आपूर्ति करते हैं।
गुलाब जल भी बना रहे हैं वर्मा
सुधीर वर्मा ने केवल गुलाब की खेती तक अपने को सीमित नहीं रखा है बल्कि गुलाब के फूलों की बिक्री के साथ-साथ वे गुलाब जल भी बनाते हैं। 10 किलो गुलाब के फूलों से 4 लीटर गुलाब जल तैयार होता है, जिसका बाजार मूल्य 300 रुपये प्रति लीटर है। गुलाब जल की भी बिक्री ‘डोर-टू-डोर’ की जाती है और कुछ परिवार इसे मुंबई और गुजरात तक भेजते हैं।
अन्य किसानों को भी प्रेरित किया
सुधीर वर्मा की सफलता ने उन्हें इटारसी नगर में एक आदर्श किसान बना दिया है। उनके द्वारा की गई गुलाब की खेती से न केवल उनकी आय में वृद्धि हुई है, बल्कि उन्होंने सोमलवाड़ा के अन्य किसानों को भी गुलाब की खेती के लिए प्रेरित किया, जो अब इस व्यवसाय में शामिल हो गए हैं।