जो सुकून 40 वर्ष में नहीं मिला, वह डेढ़ वर्ष में मिल गया

जो सुकून 40 वर्ष में नहीं मिला, वह डेढ़ वर्ष में मिल गया

इटारसी। पीडि़त मानवता की सेवा के लिए परमेश्वर से मिले आदेश का 40 वर्ष तक शासकीय सेवा के माध्यम से करने के बाद कल डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी शासकीय अस्पताल (Dr. Shyama Prasad Mukherjee Government Hospital) की एचएलबी सुगंधी नॉर्टन (HLB Sugandhi Norton) निवृत हो रही हैं। आज उन्होंने अस्पताल में पदस्थ हेमलता राजपूत को कार्यभार सौंप दिया है। उन्होंने अपनी 40 वर्ष की सेवा में मिले सहयोग पर सभी को धन्यवाद दिया और आगे भी यदि इटारसी में रहीं तो सेवा करने की इच्छा जतायी।

बुधवार, 30 जून को सिविल अस्पताल स्टाफ ने सुगंधी नॉर्टन की सेवानिवृत्ति पर विदाई समारोह शाम को आयोजित किया है। जब उनसे अपनी सेवा के दरम्यान मिले खट्टे-मीठे अनुभव और भविष्य की योजना पर बात की तो उन्होंने बड़ी सहजता से जवाब दिया। उन्होंने कहा कि यदि इटारसी में रहीं तो पीडि़त मानवता की सेवा इसी अस्पताल में करने की इच्छा है। साथ ही यह भी, कि वे इस सेवा को कोई शुल्क नहीं बल्कि स्वतंत्र रूप से करना चाहेंगी। अपने अनुभवों से जितने लोगों को लाभान्वित कर सकें, उतना ही अच्छा होगा। उनको अस्पताल प्रबंधन की ओर से रोगी कल्याण समिति के माध्यम से दोबारा ज्वाइनिंग का प्रस्ताव है, जिस उन्होंने बड़ी विनम्रता से मना करके नि:शुल्क सेवा की इच्छा जतायी।

Sugandhi Narten

40 वर्ष पर डेढ़ वर्ष ज्यादा बेहतर
सुगंधी नॉर्टन ने कहा कि 40 वर्ष की पूरी सेवा में ये जो कोरोनाकाल के डेढ़ वर्ष मिले, वे सबसे अधिक बेहतर रहे। ईश्वर ने उनको इस कठिन समय में सेवा के लिए चुना, जो उनके लिए बहुत सुकून देने वाला लगा। जब पीडि़त मानवता को आपकी सबसे अधिक जरूरत थी और आप उनके काम आये, आपके जीवन में इससे ज्यादा बड़ा काम और क्या हो सकता है। पूरी सर्विस में जो अनुभव नहीं मिला, वो इस डेढ़ वर्ष में मिल गया। आगे भी टीकाकरण में उनकी जरूरत लगेगी तो वे सहर्ष करने को तैयार हैं।

कोई खराब अनुभव नहीं है
जब उनसे 40 वर्ष की सेवा के खराब और अच्छ़े अनुभव के विषय में पूछा तो जवाब था, कोई खराब अनुभव नहीं है। उनको यहां सबका प्यार, सहयोग, अपनत्व, सम्मान मिला वह उनकी जीवन की नहीं भुलाने वाली पूंजी है। मरीजों और परिजनों से कभी उनको गलत व्यवहार नहीं मिला, बल्कि कुछ मरीजों के परिजनों ने चरण स्पर्श करके ये तक कहा कि आप नहीं जानतीं, आपने हमारे लिये क्या किया है। किसी के जीवन में इन शब्दों से बड़ा और कुछ हो नहीं सकता है कि आपकी सेवा से लोग संतुष्ट हों।

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