जो मनुष्य श्रावण में पांच लाख नम: शिवाय मंत्र का जाप कर लेता है उसे शिव की कृपा प्राप्त हो जाती है

Post by: Rohit Nage

नर्मदापुरम। आचार्य सोमेश परसाई ने बताया कि देवशयनी एकादशी के पश्चात भगवान नारायण शयन में चले जाते हैं, तत्पश्चात भगवान शिव परिवार सहित सृष्टि का पालन करते हैं। श्रावण में भी सोमवार का अत्यधिक महत्व है। दक्ष प्रजापति ने जब चंद्र देव को श्राप दिया तब चंद्र देव ने महादेव की तपस्या की और महादेव ने चंद्रमा को अमरत्व का वरदान दिया और अपने शीश पर धारण किया।

शास्त्रों में सोमवार चंद्रमा का दिन माना जाता है, इसलिए सोमवार को शिवार्चन का विशेष महत्व है। जो मनुष्य दूज के चंद्रमा के दर्शन करता है उसे प्रत्येक भगवान शिव के दर्शन का फल प्राप्त होता है । इसके पश्चात आचार्य श्री ने नम: शिवाय मंत्र का महत्व सुनाते हुए कहा कि जो व्यक्ति पूरे श्रावण में सात्विक रहते हुए पांच लाख नम: शिवाय मंत्र का जाप करता है, उसे भगवान शिव की कृपा एवं भक्ति प्राप्त हो जाती है। जो असाध्य है, वह भी साध्य हो जाता है तथा जो व्यक्ति वर्ष भर में 5 करोड़ नम: शिवाय मंत्र का जाप कर लेता है, वह शिव तुल्य हो जाता है।

आचार्य श्री ने दान का महत्व बताते हुए कहा कि सुपात्र को दिया हुआ दान इस लोक और परलोक में पुण्यफल देने वाला है किंतु कुपात्र को दिया गया धन अशुभ फल देने वाला होता है, अत: विचार कर दान दे संभव हो तो धन की बजाए उपयोगी वस्तु का दान करें। इसके पूर्व आज श्रावण के प्रथम सोमवार के उपलक्ष्य में भगवान को दूध दही सहित नाना प्रकार की औषधियों से स्नान कराया गया। भगवान का वैदिक मंत्रों से रुद्राभिषेक किया गया। भगवान की सुंदर स्तुतियों का गान हुआ। भगवान का सुंदर पुष्पमालाओं विल्वपत्र आदि से सुंदर श्रृंगार किया तत्पश्चात भगवान की दिव्य भस्मारती व महाआरती की गई।

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