धर्मनिष्ठ एवं विधिवेत्ता शिक्षाविद् शर्माजी पर लिखी पुस्तक पर चर्चा का कार्यक्रम संपन्न

धर्मनिष्ठ एवं विधिवेत्ता शिक्षाविद् शर्माजी पर लिखी पुस्तक पर चर्चा का कार्यक्रम संपन्न

इटारसी। अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला नर्मदापुरम (All India Sahitya Parishad District Narmadapuram) ने साहित्यकार मिलिंद रौंघे (Writer Milind Raunghe) द्वारा लिखित पुस्तक धर्मनिष्ठ एवं विधिवेत्ता, शिक्षाविद् पंडित रामलाल शर्मा (Educationist Pandit Ramlal Sharma) पर चर्चा का कार्यक्रम सांईं कृष्णा रिसोर्ट (Sai Krishna Resort) के सभागार में आयोजित किया।

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अखिल भारतीय साहित्य परिषद के जिला अध्यक्ष राजकुमार दुबे (Rajkumar Dubey, District President of Akhil Bharatiya Sahitya Parishad) ने बतलाया कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भवानी शंकर शर्मा, कार्यक्रम के अध्यक्ष एम जी एम कालेज प्राचार्य/शिक्षाविद् डॉ के एस उप्पल वा प्रमुख वक्ता कन्या महाविद्यालय प्राचार्य डॉ आर एस मेहरा, कन्या हायर सेकंडरी शाला प्राचार्य अखिलेश शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद पगारे , वरिष्ठ साहित्यकार चंद्रकांत अग्रवाल मंचासीन हुए।

अतिथि गणों के सरस्वती पूजन एवं दीप प्रज्वलन से कार्यक्रम आरंभ हुआ।

कन्या शाला प्राचार्य अखिलेश शुक्ल (Girls school principal Akhilesh Shukla) ने कहा कि पुस्तक के अध्ययन से जानकारी मिलती कि शर्मा ने शिक्षा में पिछड़े जिले नर्मदापुरम को आगे बढ़ाने के लिए कैसे नर्मदा शिक्षा समिति का गठन कर शालाओं एवं महाविद्यालय की स्थापना की जिसके चलते जिले के छात्र छात्राओं के लिए उच्च शिक्षा पाने के द्वार खुले एवं जिले के हजारों छात्र छात्राओं को अपना भविष्य संवारने का अवसर मिला।

वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद पगारे (Senior Journalist Pramod Pagare) ने कहा की कक्का जी कालजयी पुरुष थे। व्यक्ति का अस्तित्व जीते जी तो जीवित रहता है लेकिन जो मृत्यु के उपरांत जीवित रहे उसका नाम रामलाल शर्मा है। जो संघर्ष से जूझता है उसका नाम रामलाल शर्मा है। पुस्तक लेखक मिलिंद रौंघे ने कक्काजी के जीवन भर की विविधता को कथातत्व में गूंथकर पठनीय पुस्तक का स्वरूप दिया है।

कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य आर एस मेहरा (RS Mehra, Principal of Girls College) ने कहा की मिलिंद जी ने पंडित रामलाल शर्मा जी (Pandit Ramlal Sharma) के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर यह पुस्तक लिखी है जो स्तुतिनीय है। कक्का जी का जीवन भय एवं आतंक से मुक्त था। समाज के कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहे। नर्मदापुरम जिले में पं रामलाल शर्मा शोध संस्थान की स्थापना हो।

वरिष्ठ साहित्यकार चंद्रकांत अग्रवाल (Senior litterateur Chandrakant Agarwal) ने कहा कि लेखक मिलिंद रौंघे (Milind Raunghe) ने पंडित रामलाल शर्मा (Pandit Ramlal Sharma) की जीवनी किस्सागोई के रूप में लिखी है जिसके चलते वह रूचि पूर्ण बन गई है। शर्मा जी के विचार थे कि छात्र छात्राओं के जीवन का प्रमुख उद्देश्य शिक्षा प्राप्ति होना चाहिए। शर्मा जी का आत्मविश्वास बुलंद था वे प्रशासनिक दबाव में नहीं आते थे। धर्म के नाम पर उनका मत था कि अधिकारों एवं कर्तव्य का संयुक्त रूप ही धर्म है। कक्का जी की स्मृति में उनके जन्मदिन पर अध्यात्मिक कवि सम्मेलन का आयोजन होना चाहिए।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भवानी शंकर शर्मा (Chief guest of the program Bhavani Shankar Sharma) ने कहां की कक्का जी ने हमें सत्य के पक्ष में खड़े रहने की शिक्षा दी पिताजी को चुनाव लड़ने का शौक था। उन्होंने कक्का जी के जीवन के कई अनछुए पहलुओं को को श्रोता गणों के समक्ष रूचिकर रूप से रख कहा कि मंच से उठ रही भावनाओं के अनुसार शर्मा परिवार आगामी वर्ष के 14 जून माह में अध्यात्मिक कवि सम्मेलन आयोजित करवायेगा। पुस्तक चर्चा कार्यक्रम आयोजन के लिए अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला नर्मदापुरम का आभार माना।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ के एस उप्पल (Dr KS Uppal presiding over the program) ने कहा कि पुस्तक के लेखक मिलिंद रौंघे (Milind Raunghe) ने इतिहास की पृष्ठभूमि बनाकर काका जी को खड़ा किया है उस काल के इतिहास को समझना हो तो यह पुस्तक पढ़ना चाहिए, सत्ता से किस तरह संघर्ष कर संस्था की स्थापना करना पड़ती थी की जानकारी पुस्तक देती है। कक्का जी के महामना व्यक्तित्व का अनुसरण करना उनके पुत्रों के समक्ष चुनौती के रूप में है। दुनिया में विरले ही मनुष्य होते हैं जो भय लोभ और और मोह को त्याग कर मानवता की सच्ची सेवा करते हैं ऐसे ही मनुष्यों में से एक थे पंडित रामलाल शर्मा।

कार्यक्रम के संचालक हास्य व्यंग एवं परिषद के संभागीय अध्यक्ष कवि बी के पटेल (Divisional President Kavi BK Patel) ने कहा कि इस पुस्तक के लिखे जाने से पूर्व नर्मदांचल के किसी अन्य विशिष्ट व्यक्तित्व पर जीवनी लिखने की जानकारी नहीं है, यह पुस्तक कालजयी है एवं शोध का विषय है।

अखिल भारतीय साहित्य परिषद (All India Sahitya Parishad) ने कालजयी पुस्तक लेखन पर मंचासीन अतिथि गणों के करकमलों से लेखक मिलिंद रौंघे का सम्मान करवाया। परिषद के जिला अध्यक्ष राजकुमार दुबे (District President Rajkumar Dubey) ने आभार जताया।

कार्यक्रम में विधायक डॉ सीता सरन शर्मा, मप्र तैराकी संघ अध्यक्ष पीयूष शर्मा, विधायक प्रतिनिधि जगदीश मालवीय, जयकिशोर चौधरी, डॉ नीरज जैन, पत्रकार बसंत चौहान, डॉ ज्ञानेंद्र पांडे रामकिशोर नाविक, विनोद कुशवाहा रामचरण नामदेव सुरेंद्र तोमर सहित शहर के वरिष्ठ गणमान्यनागरिकों, साहित्यकारों एवं शिक्षाविदों की भारी संख्या में उपस्थिति रही।

कार्यक्रम को सफल बनाने में परिषद के भगवानदास बेधड़क, संदीप सोनकर, शुभम पटेल ब्रजमोहन सोलंकी, रूपेंद्र सोलंकी, राजेश व्यास, विनय चौरे ,सौरम दुबे, राजेंद्र दुबे आदि का सराहनीय योगदान रहा।

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