मन जितना पवित्र रहेगा ईश्वर उतना पास रहेगा : तिवारी

इटारसी। संत शिरोमणी महामुनि सतगुरु शुकदेव महाराज ने सम्राट परीक्षित को समझाया कि परम पिता परमेश्वर ने मनुष्य जीवन परमात्मा की प्राप्ति के लिए ही मिलता है। यह मनुष्य जीवन कितना मूल्यवान है, इस जीवन का वास्तविक उद्देश्य सत्संग से ही पता चलता है। उक्त उद्गार मेहरा गांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिवस में संत भक्त पंडित भगवती प्रसाद तिवारी (Saint Bhakta Pandit Bhagwati Prasad Tiwari) ने व्यक्त किए।

कथा को विस्तार देते हुए पंडित भगवती तिवारी ने कहा कि जीवन काल बहुत ही थोड़ा है और बड़ा काम ईश्वर अनुभूति, आत्मानुभूति को प्राप्त करना है। यह मनुष्य जीवन क्षणभंगुर कहा है कल क्या पल भर भी रहेगा या नहीं कह नहीं सकते। इस जीवन की सफलता ईश्वर प्राप्ति में है जो ईश्वर को नहीं जान पाया उसका जीवन नश्वर वस्तुओं में ही नष्ट हो जाएगा। राजा परीक्षित को शुकदेव महाराज ने ईश्वर अनुभूति के द्वारा मृत्यु भय से मुक्त कर दिया था।

भगवान श्रीकृष्ण जी ने देवताओं के राजा इन्द्र देव की पूजा परंपरागत चलती थी प्रभु ने पुरानी परंपराओं को जो आज के समय अनुसार समाज के हित में नहीं है उन परंपराओं को तोडने में सभी को आगे आना चाहिए। पुरानी परंपराओं से अगर समाज में ,गांव मे, क्षैत्र में किसी को तकलीफ़ हो ,कोई गरीब दु:खी हो परंपराओं को निभाने मे कर्जा लेता है, जैसे दहेज प्रथा, नुक्ता प्रथा, जीव बली प्रथा और भी जो आज के समय में दुखदाई हो उसे खत्म करने में समाज के बड़े वरिष्ठ लोगों को आगे आना चाहिए।

गरीबी के कारण योग्य बेटा-बेटी का विवाह संस्कार समय पर नहीं हो पा रहा है। कुछ परंपराओं के कारण बहुत लोग दुखी जीवन बिताने के लिए मजबूर हो जाते हैं। आज की कथा में छप्पन भोग का आयोजन किया। इस दौरान बड़ी संख्या में भागवत कथा प्रेमी उपस्थित थे।

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