इटारसी। भीषण गर्मी में जब आसमान से आग बरस रही हो पारा 40 से 42 सेंटीग्रेड तक पहुंच गया तब भी, चिल्लाती धूप और लू के थपेड़ों के बीच जिले भर के सैकड़ों आंगनबाड़ी केंद्रों पर छोटे छोटे बच्चे आने को मजबूर हैं। जिला प्रशासन ने अब तक आंगनबाड़ी केंद्रों का समय बदलने के कोई आदेश नहीं दिए हैं, जबकि सीधी रीवा, सिवनी छपारा जैसे जिलों में यह आदेश 8 दिन पूर्व भी आ चुके हैं। जिला प्रशासन की अनदेखी का दुष्परिणाम छोटे-छोटे बच्चे भोगने को मजबूर हैं।
सूर्य की किरणें आग बरस रहीं भीषण गर्मी का अप्रैल माह का दौरा बीत गया। मई के महीने में पारा हर दिन और अधिक बढऩे लगा, सूर्य की किरणें आग बरसाती हुई नजर आ रही है। तेज धूप और तपन के चलते आम आदमी का सड़कों पर निकलना दूभर हो गया है। दोपहर 12 बजे के बाद से ही तेज तपन और गर्म हवाओं के चलते शहर की गली मोहल्ले में सन्नाटा छा जाता है, बाजार सूने हो जाते हैं, दफ्तर या तो सूने हो जाते हैं या फिर अधिकारी कूलर और एसी से बाहर नहीं निकलते हैं, किंतु आंगनबाड़ी केंद्रों में गरीब घरों के छोटे-छोटे बच्चे पढऩे और पोषण आहार के लिए आते हैं, इनका समय यथावत रखा गया है।
कई बच्चों के पैर में तो चप्पल भी नहीं होती, तन पर पूरे कपड़े भी नहीं होते, लेकिन उन्हें आंगनबाड़ी केंद्रों पर आना होता है। केंद्र पर काम करने वाली महिला कर्मचारियों की मजबूरी भी होती है कि बच्चों को केंद्र तक लेकर आए। महत्वपूर्ण बात यह है कई आंगनबाड़ी केंद्र पर पंखे की व्यवस्था भी नहीं है, नहीं पीने के लिए ठंडा पानी की व्यवस्था है। लेकिन बच्चों को इसी स्थिति बैठना होता है और आना-जाना करना पड़ता है। अब सवाल यह उठता है कि जब अनेक जिलों में आंगनबाड़ी केद्रों का समय बदल दिया गया है, तब हमारे जिले में अब तक समय क्यों नहीं बदला गया। प्रदेश के सीधी, रीवा, सिवनी छपारा जैसे जिलों में आंगनबाड़ी केंद्रों का समय सुबह 8 बजे से 12 बजे तक बच्चों के लिए और 2 बजे तक वहां काम करने वाले वर्करों के लिए निर्धारित कर आदेश दिए गए हैं, तब हमारे जिले में आखिर अब तक यह निर्णय क्यों नहीं हो सका है।
इनका कहना है…
यह स्टैंडिंग आदेश पहले से ही है, कि ग्रीष्मकाल में 1 अप्रैल से एक जुलाई तक आंगनबाडयि़ों का समय सुबह 8 से 12 तक बच्चों के लिए और वहां कार्यरत कार्यकर्ता और सहायिकाओं के लिए 2 बजे तक होता है। इसमें अलग से कोई आदेश की जरूरत नहीं है। पूरे प्रदेश में आंगनबाडिय़ों के लिए एक ही समय निर्धारित है।
ललित कुमार डेहरिया, जिला परियोजना अधिकारी