तवा Tawa का पानी बहा ले गया भविष्य के सपने

तवा Tawa का पानी बहा ले गया भविष्य के सपने

खाने-रहने को मोहताज हैं बिलखेड़ी Billkhedi और पाहनवर्री Pahanavarri के ग्रामीण

इटारसी। रामपुर सर्किल Rampur Circle के सब्जी उत्पादक गांव पाहनवर्री Pahanavarri और बिलखेड़ी Billkhedi के किसानों के सपने तवा नदी की बाढ़ बहा ले गयी। किसानों की सालभर की मेहनत से तैयार होने वाली फसल crop उनके सालभर के राशन और भविष्य के सपने का आधार होती है। इस वर्ष तवा बांध Tawa bandh से छोड़ा गया पानी सबकुछ बहा ले गया। अब हालत यह है कि सैंकड़ों ग्रामीण खाने-पीने तक को मोहताज हो गये हैं।
तवा नदी Tawa River की बाढ़ ने इस बार 2013 की अपेक्षा पाहनवर्री में ज्यादा नुकसान किया है। तवा नदी Tawa River के पानी ने गांव का रुख किया और नदी के तटीय क्षेत्र Coastal area सहित करीब 80 एकड़ की खेतिहर भूमि फसल सहित अपने साथ बहा ले गया। इसके अलावा कुए, घर, मवेशी और मोटर भी बहा ले गया। गांव के लोग हर उस साल ये पीड़ा झेलते हैं, जब भारी बारिश के बाद तवा बांध के गेट खोले जाते हैं। 2013 में भी नदी ने कई एकड़ फसल बहा दी थी। इस वर्ष उससे अधिक नुकसान बताया जा रहा है।

2013 में की थी रेत की मांग
करीब सात वर्ष पूर्व जब 2013 में तवा नदी का पानी गांव के बहुत भीतर तक आ गया था, तब भी खेत और फसल अपने साथ लेकर ही लौटा था। उस वक्त की तस्वीर यह थी कि दूर-दूर तक जहां खेत थे, केवल रेगिस्तान सा मंजर नजर आता था। किसानों के खेत में तवा नदी की रेत की 12 से 15 फुट तक परत जम गयी थी। किसानों के सामने भविष्य की चिंता थी। प्रशासन से मांग की थी कि इस रेत पर उनको अधिकार दिया जाए ताकि इसे बेचकर वे अपनी माली हालत में सुधार कर सकें। लेकिन तत्कालीन अधिकारियों ने इस तरह का प्रावधान नहीं होने की बात कहकर ग्रामीणों को चुप करा दिया था। किसी तरह से ग्रामीणों ने फिर शून्य से शुरुआत करके तिनका-तिनका जोड़ा था, लेकिन फिर तवा का पानी उनके सपने बहा ले गया।

किसान नेता Farmer leader पहुंचे मरहम लगाने
गांव के किसानों की लगभग 70-80 एकड़ खेतीहर भूमि रेत के टीलों में तब्दील हो चुकी है। भारतीय किसान संघ के सदस्यों ने पाहनवर्री और बिलखेड़ी दोनों गांवों में पहुंचकर प्रभावित किसानों और ग्रामीणों से मुलाकात करके उन्हें शासन और प्रशासन द्वारा उचित राहत राशि और मुआवजा दिलाने का आश्वासन दिया है। किसानों ने बताया कि अनेकों किसानों ने खेतों में धान की फसल लगायी थी जो बाढ़ में बह चुकी है। अब उनके सामने जीवन यापन करने हेतु संकट है। मूलभूत सुविधाओं से भी ये ग्रामीण वंचित हैं। ऐसे भी किसान हैं जिनकी 1 एकड़ जमीन थी जो बाढ़ में बह गयी। अब उनके पास खेती करनें हेतु खेत भी नहीं बचे तथा घर भी बाढ़ में बह चुके हैं, वे अस्थायी रूप से छज्जे बनाकर उनमें रहने को मजबूर हैं। भारतीय किसान संघ के जिला मीडिया प्रभारी रजत दुबे ने बताया कि इस प्राकृतिक आपदा से किसानों का अत्यधिक नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई करना मुश्किल है लेकिन हम शासन और प्रशासन से मांग करते हं किै तात्कालिक रूप से खेती हेतु इन्हें जमीन उपलब्ध करायी जाए तथा उचित राहत राशि एवं मुआवजा प्रदान किया जाए।

पिचिंग बनने से होगा स्थायी निवारण
भारतीय किसान संघ के पदाधिकारियों को ग्रामीणों ने बताया कि तवा किनारे अगर पिचिंग का कार्य हो जाता है, तो स्थायी निवारण हो जाएगा जिससे भविष्य में कोई संकट उत्पन्न नहीं होगा वर्ष 2013 से ग्रामीण पिचिंग की मांग कर रहे हंै लेकिन प्रशासन ने उनकी कोई सुध नहीं ली। भारतीय किसान संघ ने ग्रामीणों को पिचिंग कार्य के लिए आश्वासन दिलाया तथा पिचिन के लिए आंदोलन करने की भी बात की। संघ के तहसील अध्यक्ष श्रीराम दुबे ने कहा कि अगर प्रशासन ने शीघ्र सर्वे कार्य कराकर राहत प्रदान नहीं की तो हम ग्रामीणों के साथ आंदोलन भी करेंगे। संघ के तहसील अध्यक्ष श्रीराम दुबे, मोरसिंह राजपूत, सरदार यादव, श्यामशरण तिवारी, लीधाधर राजपूत, राममोहन साहू, रमेश कुशवाह, रामकिशोर गहलोत, श्याम लौवंशी, सुभाष साध आदि ने प्रभावित किसानों से मुलाकात करके उन्हें हरसंभव मदद दिलाने का भरोसा दिलाया।

स्पेशल टीम Special Teamकर रही काम 
पाहनवर्री में हुए नुकसान के लिए एक स्पेशल टीम काम कर रही है। एसडीएम सतीश राय SDM Satish Rai ने आरआई और पटवारियों की एक विशेष टीम बनायी है जो केवल पाहनवर्री का सर्वे कर रही है, ताकि राहत जल्द से जल्दी दी जा सके। अन्य गांवों के लिए अलग टीमें काम कर रही हैं। नायब तहसीलदार विनयप्रकाश ठाकुर बाढ़ वाले दिन से ही विशेष तौर पर पाहनवर्री में लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि बाढ़ का पानी तो उतर गया है, राशन आदि बाढ़ पीडि़तों को उपलब्ध कराया है, फसल, मकान क्षति का सर्वे चल रहा है, जल्द प्रकरण तैयार करके मुआवजा दिलाया जाएगा। जहां तक खेतों में रेत आ गयी है, उसके विषय में एसडीएम राय स्वयं पहल करके शासन स्तर पर बातचीत कर रहे हैं, गांव को तवा से बचाने के लिए कांक्रीट वॉल का प्रस्ताव जल्द से जल्द पास कराने के लिए भी खुद एसडीएम तेजी से काम कर रहे हैं।

किसानों की पीड़ा
बाढ़ से मकान, खेत, मवेशी सब कुछ बह चुके हैं, पति दिव्यांग है। घर में मैं ही कर्ताधर्ता हूं। लेकिन अब संकट की स्थिति है। परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है। मेरा मकान भी बाढ़ में बह चुका है, तथा जरूरी सामान भी इस बाढ़ में बह गया है। अब अजीविका चलाना मुश्किल है।
मोनी बाई, बिलखेड़ी

मेरा मकान बाढ़ में बह चुका है। घर में 20 से ज्यादा सदस्य हैं, राशन भी पर्याप्त नहीं मिल पाया है। शासन से मांग है कि हमें अन्यत्र स्थान पर खेत उपलब्ध कराए जाएं जिससे हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकें।
रामविलास, ग्राम बिलखेड़ी

 

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