इटारसी। संसार में आए जीव की पहचान उसके चित्र से नहीं चरित्र से होती है, ईश्वरीय कृपा भी चरित्र के आधार पर ही प्राप्त होती है। उक्त उद्गार संत श्रीश्री 1008 महावीर दास ब्रह्मचारी ने ग्राम सोनतलाई में व्यक्त किए।
श्री शतचंडी महायज्ञ एवं श्री राम कथा प्रवचन समारोह में आज शनिवार को हनुमान जी महाराज की महिमा का वर्णन करते हुए संत श्री महावीर दास ने कहा कि हनुमान जी का चित्र वानर का था, लेकिन चरित्र भगवान के समान था और अपने इसी अखंड सेवाभावी चरित्र के कारण भूतकाल से लेकर वर्तमान काल तक पूजनीय बने हुए हैं। प्रसंग को ही विस्तार देते हुए मानस मर्मज्ञ कंचन दुबे ने कहा कि अतुलित बल धामा हेम शैलाभ देहम, अर्थात हनुमान जी हिमालय के समान बलशाली भी हैं और ब्रह्म के समान ज्ञानी भी। उनकी भक्ति से ही मानव जीवन का कल्याण होता है।
गाजीपुर के अखिलेश उपाध्याय ने कहा कि संकट से हनुमान छुड़ावे मन क्रम वचन ध्यान जो लावे, अर्थात मन वचन और भाव से हनुमान जी का स्मरण किया जाए तो जीवन के सभी संकट से मुक्ति मिलती है। छतरपुर के राघवेंद्र रामायणी ने कहा कि समस्याओं का समाधान किसी देव शक्ति के पास है, तो वह हनुमान जी और मां जगदंबे हैं।