- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने ग्राम जावली की महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
- आरती स्वयं सहायता समूह बना मिसाल, गोशाला संचालन से मिल रही आर्थिक सहायता
नर्मदापुरम। ग्राम पंचायत जावली की महिलाओं ने अपनी मेहनत, लगन से अपनी तकदीर लिखना प्रारंभ कर दी है। वे न सिर्फ अपने परिवार की आर्थिक मदद कर रही हैं, बल्कि अपने काम से समाज को भी बड़ी मदद कर रही हैं। ग्राम पंचायत जावली की आरती स्वयं सहायता समूह ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ग्रामीण महिलाओं के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आरती स्वयं सहायता समूह आर्थिक सशक्तिकरण की मिसाल प्रस्तुत कर रहा है।

आरती स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती जानकी बाई कहार के नेतृत्व में यह समूह श्री कृष्णा आदर्श गौशाला से जुड़ा हुआ है, 100 गायों की क्षमता वाली इस गौशाला में 86 गायों में से 10-12 दुधारू गायें हैं। इन गायों से प्राप्त दूध का उपयोग समूह के सभी सदस्य अपने परिवार के पालन पोषण में कर रहे हैं। इसके अलावा, भविष्य में दूध से डेयरी उत्पाद तैयार करने और दूध बेचने की योजना भी है।
ये भी कर रहीं महिलाएं
आरती समूह की महिलाएं गाय के गोबर से प्रतिदिन 100-150 उपले (कंडे) का निर्माण करती हैं। गोबर खाद और उपलों को बेचकर समूह को लगभग 4,000 से 5,000 रुपये की मासिक आय प्राप्त हो रही है। इसके साथ ही, उपलों का उपयोग जैविक खेती, भोजन पकाने और मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार के लिए भी किया जा रहा है।
सरकार से मिलता अनुदान

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाओं को रोजगार देने और उत्पादों के विपणन के लिए व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं। गोबर से तैयार किए गए उत्पादों जैसे गोबर के उपले, गोबर की खाद, गोबर ईंट, गोकाष्ठ लकड़ी, धूप, गोबर दीए आदि का प्रचार प्रसार ग्राम पंचायत से लेकर जनपद और जिले में किया जा रहा है। इसके अलावा, सरकार द्वारा प्रति चार माह में लगभग डेढ़ लाख रुपये की अनुदान राशि भी प्राप्त होती है।
सब्जी और फल उत्पादन
समूह की महिलाएं सब्जी उत्पादन, फल उत्पादन और गायों को चारा उपलब्ध कराने का कार्य भी कर रही हैं। इसके साथ ही, निराश्रित गायों से होने वाली फसलों के नुकसान और पशु बीमारियों की समस्या को हल करने के लिए गौशालाओं के माध्यम से सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं।
कृषि में भी सुधार हो रहा
गौशालाओं के माध्यम से आर्थिक सशक्तिकरण, जैविक खेती, दुग्ध उत्पादन, गोबर खाद, बायोगैस उत्पादन, और निराश्रित गायों की देखभाल की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य हो रहा है। इससे न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को रोजगार मिल रहा है, बल्कि कृषि में भी सुधार हो रहा है। इन महिलाओं ने, अगर आत्मविश्वास और मेहनत सच्ची हो, तो राह में आड़े आने वाली हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। उक्त वाक्य को वास्तविकता में साकार किया है