इटारसी। द्वापर युग में अवतरित हुए भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) और सुदामा (Sudama) की मित्रता जैसी मित्रता आज के समय में कही देखी नही जा सकती। एक मित्र द्वारिका के नाथ और एक मित्र गरीब ब्राह्मण होने के बाबजूद दोनो के बीच अटूट प्रेम और समर्पण रहा है। उनके जैसी मित्रता न कभी किसी की हुई ही और न कभी होगी।
उक्त प्रसंग श्री द्वारकाधीश बड़ा मंदिर (Shri Dwarkadhish Bada Mandir) में पुरुषोत्तम मास के अंतर्गत आयोजित संगीत में श्रीमद्भागवत कथा के विश्राम दिवस कथा व्यास पंडित दीपक मिश्रा (Pandit Deepak Mishra) ने व्यक्त किए। द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर परिसर में पुरुषोत्तम मास में जारी संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के कथाव्यास पंडित मिश्रा ने विश्राम दिवस पर कृष्ण उद्धव संवाद, यदुवंशियों को श्राप लगने की कथा, सुदामा चरित्र, यदुवंशियों का आपस में संहार, भगवान का स्वभाव गमन, उद्धव जी का बद्रिकाश्रम जाना, कलयुग के दुर्गुणों का वर्णन, सुखदेव जी का परीक्षित को अंतिम उपदेश, तक्षक सर्प के डंसने से परीक्षित की मृत्यु, उनका मोक्ष, जन्मेजय का सर्प यज्ञ कराना, आस्तिक मुनि का उन्हें समझाना, मारकंडे मुनि ने जो माया का प्रलय देखा उस का संक्षिप्त वर्णन की कथा का प्रसंग सुनाया।
उल्लेखनीय है कि अपने पूज्य माता पिता स्वर्गीय दयाराम कुशवाहा एवं स्वर्गीय कलाबाई कुशवाहा की स्मृति में कथा के यजमान धनराज कुशवाह श्रीमती अनुराधा कुशवाह एवं प्रमोद पगारे सहित अमित दरबार ने श्रीमद्भागवत पूजन के साथ व्यास पीठ पर विराजे पंडित दीपक मिश्रा का पुष्पहार से स्वागत किया। वही महाराज श्री का शॉल श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मान और विदाई की। गायन एवं सिंथेसाइजर पर नारायण तिवारी, तबले पर विवेक परसाई, ऑक्टोपेड पर ओम तिवारी ने संगत दी । श्रीमद्भागवत का प्रसिद्ध मूल पाठ एवं प्रात: काल की पूजा पंडित आकाश शर्मा द्वारा कराई गई । कथा के आयोजन में मंदिर समिति के प्रबंधक दिनेश सैनी का महत्वपूर्ण सहयोग रहा है। वहीं बता दे कि मंगलवार से पुरुषोत्तम मास की अंतिम कथा श्रीराम कथा प्रारंभ होगी। जिसका वाचन अंतर्राष्ट्रीय कथा प्रवक्ता जगतगुरु विदेह जी महाराज के श्रीमुख से होगा। जिसका आयोजक एवं यजमान उनके शिष्य मंडल है।