नर्मदापुरम। तलसुआ महादेव मंदिर पर आयोजित शिवमहापुराण कथा में पुराण प्रवक्ता पं. तरुण तिवारी ने सती चरित्र वर्णन करते हुए प्रसंग में बताया कि सति ने राम जी की परीक्षा लेने जानकी स्वरूप रखा, पर जब चलने लगी तो राम जी के आगे चलने लगी, तब यह सिद्ध हुआ कि परीक्षा लेने के लिए रूप तो बदला जा सकता है, पर चरित्र नहीं।
जानकी राम के पीछे चलती हैं और राम के चरण चिह्न पर जानकी अपने चरण ही नहीं रखती थीं। ऐसे में शंकर ने जब अपने नेत्र बंद कर देखा कि परीक्षा कैसे ली तब जाना कि गौरी ने तो सीता रूप रखा है तब ही प्रतिज्ञा ली कि माता स्वरूप गौरी को अब इस तन से संपर्क नहीं करेंगे और प्रतिज्ञा कर कैलाश पर तपस्या की। इसके पश्चात सती से शक्तिपीठ के बनने बारे में कथा सुनाई, आगे माता पार्वती के जन्म पर बधाई गीत हुए। शिव जी की भव्य बारात निकाली गई, बारात उपरांत विवाह संस्कार हुआ।