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युवा भाजपा की टिप्पणी पर ऐसे दिया कांग्रेस नेता ने जवाब

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इटारसी। श्रीराम मंदिर ( Shri Ram temple) के मामले में कांग्रेस के आला नेता और विधायक कांतिलाल भूरिया (MLA Kantilal Bhuria) के बयान पर भाजपा के युवा नेता पार्थ राजपूत (Youth leader Parth Rajput) की टिप्पणी के बाद वाकयुद्ध शुरु हो गया है। अब कांग्रेस के युवा नेता अमित कापरे (Youth leader Amit Kapre) ने पार्थ राजपूत के बयान पर टिप्पणी करके उनको बुद्धिमता की लड़ाई के लिए ललकारा है।
कापरे ने कहा कि अल्लाह और ईश्वर के बीच किसी कमीशन एजेंट की जरूरत नहीं है। यह बिस्मिल और अशफाक की धरती है, जहां हिंदू-मुस्लिम दोनों ने मिलकर आजादी की लड़ाई लड़ी लेकिन आज उन्हीं दोनों को लड़ाने की कोशिशें खूब की जा रही हैं। कांग्रेस के पूर्व जिला महामंत्री अमित कापरे की यह प्रतिक्रिया तब आई जब भाजपा नेता पार्थ सिंह राजपूत ने कांग्रेस नेता कांतिलाल भूरिया के एक बयान के विरोध में कांग्रेस नेताओं को बाबर की संतान बताया। कापरे ने कहा कि जुबान का बीज बचा रहेगा तो संस्कृति का पेड़ जि़ंदा रहेगा। अमर्यादित और भड़काऊ भाषा शैली भाजपा की और उनके नेताओं की संस्कृति रही है। राम मंदिर को आप राष्ट्रवाद से जोड़ रहे हैं। राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र मंदिर निर्माण के लिए हिन्दू मुस्लिम सभी चंदा दे रहे हैं। परंतु चंदा एकत्र करते समय जिस प्रकार के फर्जी संगठनों और एनजीओ के नाम सामने आ रहे हैं वह चिंता का विषय है।
कापरे ने कहा कि भूरिया का वक्तव्य उनका निजी विचार है। चंदा तो 90 के दशक में भी लिया था उसका क्या? ट्रस्ट को राम जन्मभूमि न्यास की ओर से 10 करोड़ रुपए हैंडओवर किए हैं। कहा जा रहा है कि ये पैसा चंदे से ही इकट्ठा हुआ था। वहीं, वीएचपी का कहना है कि उस दौर में गांव-गांव जाकर चंदे के रूप में लिए सवा रुपए से साढ़े तीन करोड़ रुपए आए थे। इससे पत्थर खरीदे गए। कारीगर और मजदूरों पर खर्च किया गया। वीएचपी के तराशे गए पत्थरों का भी मंदिर निर्माण में इस्तेमाल होगा। हालांकि, उस दौर में जो चंदा लिया उसका कोई लेखा-जोखा आज तक नहीं दिया है। इसे लेकर सबके अपने-अपने दावे रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय हिन्दू परिषद के नेता प्रवीण तोगडिय़ा तो इस चंदे के पैसे को लेकर अनियमितताओं की बात पहले कह चुके हैं। श्री कापरे ने भाजपा नेता पार्थ सिंह पर तंज कसते हुए कहा कि मैं आपको बुद्धिमत्ता की लड़ाई के लिए ललकारता, लेकिन मैं देख रहा हूं कि आप निहत्थे हैं। कापरे की इस चेतावनी का कैसा जवाब आता है, या फिर यह वाकयुद्ध यहीं खत्म हो जाता है, यह आने वाला वक्त बतायेगा।

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