इस बार भोले की उपासना के लिए मिल रहे आठ सोमवार, कल पहला

इस बार भोले की उपासना के लिए मिल रहे आठ सोमवार, कल पहला

मदन शर्मा, नर्मदापुरम। भोलेनाथ के प्रिय सावन माह की शुरुआत 4 जुलाई से हुई है। कल सावन का पहला सोमवार है। ऐसे में भगवान भोलेनाथ की आराधना जिले भर में की जाएगी और शिवलायों में काफी भीड़ रहेंगी। इन 8 सोमवार के साथ ही सावन के अन्य प्रमुख दिवस भी शिव उपासना के साथ आस्था के विश्वास को और प्रगाढ़ बना रहे हैं।

इस बार सावन में अधिकमास जुडऩे के कारण सावन पूरे 59 दिनों का है। वैसे तो भारतीय संस्कृति में प्रकृति को सहेजने का भाव दिन, वार और महीनों तक से जुड़ा है। विचारणीय है कि मौसम के मुताबिक सावन मास में भगवान भोले कि उपासना सदियों से की जा रही है। यह महीना हमें आध्यात्मिक, विश्वास और मान्यताओ से भी जोड़े रखता है। क्योंकि शिव विकल्पों के विकल्प हैं। जब कभी कुछ अनायास या कुछ अप्रिय सुनने-देखने में आता है, तो हर किसी के मुंह से अनायास निकल ही जाता हैं- शिव, शिव, शिव…! दुनिया में जितना आलोक है, वह शिव है। हर कमी को शिव ही पूर्ण करते हैं, क्योंकि यह परम सत्ता शिव की ही अनुगामिनी है। तभी तो वे विष का भी वरण कर नीलकंठ कहलाते हैं। जिनकी पूजन में सबसे कम नियम-कायदे हैं वह केवल शिव है। शिव आराधना करने वाले भक्तों के लिए इस बार शुभ संयोग बने हैं।

शिवालयों में सावन सोमवार पर विशेष पूजन-अर्चना की तैयारियां हो चुकी है । आचार्य सोमेश परसाई ने बताया कि श्रुति कहती है- ‘सृष्टि के पूर्व न सत् (कारण) था, न असत् (कार्य); केवल एक निर्विकार शिव ही विद्यमान थे।’ अत: ‘जो वस्तु सृष्टि के पूर्व हो, वही जगत्का कारण है और जो जगत्का कारण है, वही ब्रह्म है।’ इससे यह बात सिद्ध होती है कि ‘ब्रह्म’ का ही नाम ‘शिव’ है। ये शिव नित्य और अजन्मा हैं, इनका आदि और अन्त न होने से ये अनादि और अनन्त हैं। ये सभी पवित्र करने वाले पदार्थों को भी पवित्र करने वाले हैं। इस प्रकार भगवान् शिव सर्वोपरि परात्पर तत्त्व हैं अर्थात् जिनसे परे और कुछ भी नहीं है— ‘यस्मात् परं नापरमस्ति किञ्चित्।’ भगवान शिव के समान न कोई दाता है, न तपस्वी है, न ज्ञानी है, न त्यागी, न वक्ता है, न उपदेष्टा और न कोई ऐश्वर्यशाली ही है।

भगवान शिव के विविध नाम हैं। जिनकी स्तुति-उपासना तथा कीर्तन भक्तजन बड़ी श्रद्धा के साथ करते हैं। भगवान की भव्य भस्म आरती शिवार्चन समिति के तत्वावधान एवं आचार्य सोमेश परसाई के पावन सान्निध्य में आयोजित रुद्राभिषेक में सावन के पहले सोमवार भगवान शिव की भव्य भस्मारती एवं महाआरती आयोजित की जाएगी। वहीं रविवार को आचार्य ने शिवभक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि सफलता के लिए जीवन भर विद्यार्थी भाव बने रहना अत्यंत आवश्यक है अहंकार ही अवनति का कारण है सच्ची विद्या वहीं है जो विनय प्रदान करे। हमारा धर्म हम माता पिता गुरु का ही नहीं प्रकृति, वृक्ष, छोटे, बड़े सबका सम्मान करना सिखाता है।

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AUTHORRohit

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