पुष्य नक्षत्र के साथ बुधवार का दिन चंद्र दर्शन 8:30
इटारसी। मां चामुण्डा दरबार भोपाल के पुजारी गुरु पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि पौष कृष्ण पक्ष 4 गणेश चतुर्थी व्रत बुधवार 22 दिसंबर को पुष्य नक्षत्र में रखा जावेगा। मांगलिक कार्य छोड़कर क्रय-विक्रय कार्य करना शुभ रहेगा। देवी-देवतों में प्रथम पूजनीय गणेश जी की पूजा की जाती है. ये चतुर्थी बुधवार के दिन पड़ रही है, जिसकी वजह से इसका महत्व और भी बढ़ गया है। बुधवार का दिन गणपति जी को समर्पित है, इसलिए जो भी जातक इस दिन सच्चे मन से गणेश जी की विधि विधान से पूजा करेगा, विघ्नहर्ता उसके सभी कष्ट हर लेंगे।
संकष्टी चतुर्थी पूजा मुहूर्त
चतुर्थी तिथि- 22 दिसंबर 2021, बुधवार
पूजा मुहूर्त- रात्रि 08 बजकर 15 मिनट से, रात्रि 09 बजकर 15 मिनट तक (अमृत काल)
चंद्र दर्शन मुहूर्त- रात्रि 08 बजकर 30 मिनट से, रात्रि 09 बजकर 30 मिनट तक
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
1- इस दिन आप प्रात: काल सूर्योदय से पहले उठ जाएं।
2- स्नान कर साफ़ और धुले हुए कपड़े पहनें। इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है।
3- गणपति की पूजा करते समय जातक को अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए।
4- गणपति की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें।
5- पूजा में तिल, गुड़, लड्डू, फूल तांबे के कलश में पानी, धूप, चन्दन, प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रखें।
6- पूजा के समय मां दुर्गा की मूर्ति अपने पास जरूर रखें। ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है।
7- गणेश जी को रोली लगाएं, फूल दूर्बा और जल अर्पित करें।
8- संकष्टी को भगवान गणेश को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं।
9- शाम के समय चांद के निकलने से पहले गणेश जी की पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा पढ़ें।
10- पूजा समाप्त होने के बाद लड्डू का प्रसाद बाटें। रात को चांद देखने के बाद व्रत खोलें। अलाव जलाना गर्म वस्त्र दान कारना लाभ देगा।