
कल षटतिला एकादशी का महान व्रत
इटारसी। मां चामुंडा दरबार भोपाल (Maa Chamunda Darbar Bhopal) के पुजारी गुरु पंडित रामजीवन दुबे (Guru Pandit Ramjeevan Dubey) ने बताया कि कल माघ कृष्ण पक्ष षटतिला एकादशी शुक्रवार 28 जनवरी को षटतिला एकादशी है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु (Lord Shri Hari Vishnu) और मां लक्ष्मी ( Maa Lakshmi) की पूजा उपासना की जाती है।
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षटतिला एकादशी की तिथि 28 जनवरी को देर रात 02 बजकर 16 मिनट पर शुरू होकर 28 जनवरी को रात्रि में 11 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी। अत: व्रती 28 जनवरी को एकादशी व्रत रख भगवान श्रीविष्णु की पूजा-आराधना कर सकते हैं। धार्मिक मान्यता है कि षटतिला एकादशी करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है। साथ ही व्यक्ति को पृथ्वी लोक पर सभी सुखों और मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस एकादशी को पापहारिणी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन तिल दान या तिलांजलि करने से व्यक्ति को पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है।
षटतिला एकादशी की व्रत कथा
चिरकाल में एक बार नारद जी (Narad ji) ने भगवान श्रीहरि विष्णु जी से षटतिला एकादशी व्रत की महिमा और कथा जानने की इच्छा जताई। उस समय विष्णु जी ने कहा-हे महर्षि! एक समय की बात है। पृथ्वी लोक पर एक ब्राह्मणी नित्य-प्रतिदिन मेरी पूजा-आराधना करती थी। वह सभी नियमों का पालन करती थी। उस ब्राह्मणी की भक्ति से मैं बहुत प्रसन्न था। एक बार ब्राह्मणी ने एक महीने तक लगातार मेरी कठिन भक्ति की। इस दौरान ब्राह्मणी ने पूजा, जप और तप किया, लेकिन दान नहीं किया। कठिन भक्ति की वजह से वह दुर्बल हो गई।
उस समय मैंने सोचा-कठिन भक्ति से ब्राह्मणी ने वैकुण्ठ लोक तो प्राप्त कर ली है, लेकिन दान न देने की वजह से विष्णुलोक में तृप्ति नहीं मिलेगी। यह जान मैं साधु रूप धारण कर उसके पास भिक्षा मांगने गया। उस समय ब्राह्मणी ने मुझे दान में मिटटी का एक पिंड दिया। कुछ दिनों के बाद ब्राह्मणी की मृत्यु हो गई। जब वह वैकुंठ पहुंची, तो उसे एक कुटिया मिला, लेकिन कुटिया में कुछ भी नहीं था। यह देख ब्राह्मणी बोली-हे प्रभु! मैंने आपकी इतनी भक्ति की और वैकुंठ में केवल कुटिया दिया गया। तब मैंने उस ब्राह्मणी से कहा-हे देवी! आपने पूजा, भक्ति तो की, लेकिन किसी को दान नहीं दिया। अत: आपको वैकुंठ में केवल कुटिया मिला। उस समय ब्राह्मणी ने उपाय जानना चाहा। यह सुन भगवान विष्णु बोले-जब देव कन्याएं आएं, तो उनसे षटतिला एकादशी व्रत करने की विधि पूछना। कालांतर में ब्राह्मणी ने षटतिला एकादशी व्रत किया। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से ब्राह्मणी को वैकुंठ में सभी चीजों की प्राप्ति हुई। यह सुन नारद जी-आपकी लीला अपरंपार है, प्रभु! नारायण, नारायण!