कल रूप चतुर्दशी का महान पर्व, दीपदान होगा
इटारसी। मां चामुण्डा दरबार भोपाल के पुजारी गुरु पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि कार्तिक कृष्ण पक्ष में दीपावली (Deepawali) के एक दिन पहले नरक चतुर्दशी का पर्व मानाया जाता है। नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण, हनुमान जी, यमराज और मां काली के पूजन का विधान है। इसे छोटी दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। इसके साथ ही इस दिन रूप चौदस और काली चौदस जैसे कई त्योहारों का आयोजन होता है। इस साल नरक चतुर्दशी का पर्व 03 नवंबर को मानाया जाएगा।
नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) – पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस (Narakasur Rakshak) का वध किया था। उसके नाम पर ही इस दिन को नरकचौदस के नाम से जाना जाता है। इस दिन नरक की यातनाओं की मुक्ति के लिए कूड़े के ढेर पर दीपक जलाया जाता है।
हनुमान जंयती (Hanuman Jayanti) – रामायण की कथा के अनुसार हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास चतुर्दशी पर स्वाति नक्षत्र में हुआ था। इस मान्यता के अनुसार इस दिन हनुमान जंयती मनाई जाती है। हालांकि कुछ और प्रमाणों के आधार पर हनुमान जयंति चैत्र पूर्णिमा के दिन भी माना जाता है।
रूप चौदस (Roop Chaudas) – नरक चतुर्दशी को रूप चौदस भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन तिल के तेल से मालिश करके, स्नान करने से भगवान कृष्ण रूप और सौन्दर्य प्रदान करते हैं। इसके साथ ही नहाते समय पानी में चिरचिरा के पत्ते डालने चाहिए।
यम दीपक (Yum Deepak) – पौराणिक मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन मृत्यु के देवता यमराज के नाम से आटे का चौमुखी दीपक जलाया जाता है। ऐसा करने से यमराज अकाल मृत्यु से मुक्ति प्रदान करते हैं तथा मृत्यु के बाद नरक की यातनाएं नहीं भोगनी पड़ती हैं। इस दीपक को यम दीपक कहा जाता है।
काली चौदसी (Kali Chaudasi)- नरक चतुर्दशी के दिन मध्य रात्रि में मां काली का पूजन करने का विधान है। इसे बंगाल प्रांत में काली चौदस कहा जाता है।