- चंद्रमा और माह के नामकरण का खगोलविज्ञान बताया सारिका ने
इटारसी। कल रक्षाबंधन की शाम को और अधिक चमकदार बनाने पूर्णिमा का चंद्रमा सुपरमून के रूप में दिखने जा रहा है। यह आम पूर्णिमा के चंद्रमा से ज्यादा बड़ा और अधिक चमकदार होगा। इसकी खगोल वैज्ञानिक जानकारी देते हुये नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि पृथ्वी के चारों ओर अंडाकार पथ में परिक्रमा करता पूर्णिमा का चंद्रमा पास के बिंदु पर होता है तो चंद्रमा बड़ा और चमकदार दिखता है, इसे सुपरमून कहते हैं। आज चंद्रमा 3 लाख 61 हजार 969 किमी की दूरी पर रहते हुये पृथ्वी से नजदीक होगा।
सारिका ने बताया कि चंद्रमा माह में एक दिन पृथ्वी से सबसे दूर होता है इसे अपोजी कहते हैं तो एक दिन पास के बिंदु पर आ जाता है, इसे पेरिजी कहते हैं। आज के इस सुपरमून को ब्लूमून भी नाम दिया गया है क्योंकि 21 जून से 22 सितंबर के खगोलीय सीजन में पडऩे वाले चार पूर्णिमा में से यह तीसरी पूर्णिमा का चांद है। सारिका ने बताया कि ब्लूमून सिर्फ नामरकण है। चांद का रंग तो बाकी पूर्णिमा की ही तरह होगा। आज चंद्रमा सुबह की स्थिति में श्रवण नक्षत्र में स्थित रहेगा। पूर्णिमा के चंद्रमा के नक्षत्र के नाम के आधार पर ही इस महीने का नाम सावन रखा गया है। तो मनाईये चमकदार सुपर ब्लूमून की उपस्थिति में रक्षाबंधन।
अन्य जानकारी
- अपोजी लगभग 4 लाख 5 हजार 500 सौ किमी तो पेरिजी लगभग 3 लाख 63 हजार 300 किमी या इससे कम होती है।
- इस खगोलीय सीजन में 21 जून, 21 जुलाई, 19 अगस्त और 18 सितम्बर को चार पूर्णिमा आ रही हैं।